Sunday, May 16, 2021

MS Word

MS Word


एम एस वर्ड का परिचय :Introduction of MS Word:

एम एस वर्ड माइक्रोसॉफ्ट कार्पोरेशन द्वारा तैयार किया गया एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है। इसके द्वारा ऑफिशल कार्यो को आसानी से कर सकते है। शुरू - शुरू में यह प्रोग्राम एम एस डांस के वातावरण में वर्ड स्टार के नाम से चलता था। जिसमे सिमित सुविधाएं प्रदान की गई थी। एम एस पेंट में लेटर टाइपिंग या अन्य प्रकार के साथ -साथ थोड़ा बहुत पिक्चर भी डिज़ाइन कर सकते है।
 एम एस वर्ड द्वारा बनाई गई फाइल का एक्सटेंशन नाम .doc होता है।
 यह एक बड़ा वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम है। जिसमे टेक्स्ट की फॉर्मेटिंग सरल तरीके से कर सकते है।
 इसके कई वर्शन है जो इस प्रकार है

•MS Word   97
•MS Word   xp
•MS Word   2000
•MS Word   2002
•MS Word   2003
•MS Word   2005
•MS Word   2007
•MS Word   2010
•MS Word   2016

एम एस की विशेषताएं :Features of MS Word:

1. इसमें डॉक्युमेंट फाइल का निर्माण होता है।
2. इसमें पासवर्ड देने लगाने की सुविधा दी गई है। जिसके प्रयोग करके हम बनाई जा रही फाइल को पासवर्ड से लॉक कर सकते है।
3.इसमें कई डिज़ाइन में हम टेबल का निर्माण कर सकते है। और बनाये गए टेबल की फॉर्मेटिंग भी कर सकते है।
4.इसमें पेजो की संख्या अधिक होने के कारण हम लम्बी से लम्बी फाइल का निर्माण कर सकते है।
5.इसमें टेक्स्ट को कई डिज़ाइन में लिख सकते है।
6.इसमें कई प्रकार की आकृति में ऑब्जेक्ट बना सकते है। और उसमे विभिन्न प्रकार के पिक्चर एवं कलर मिक्स कर सकते है।
7.इसमें हम बांये गए ऑब्जेक्ट पर सैडो इफ़ेक्ट दे लगा सकते है।
8.इसमें हम पेज के चारो तरफ फूल एवं पत्तियों का बॉर्डर लगा सकते है।


स्टैंडर्ड टूलबार :
Standard Toolbar:

1.New                                            Ctrl+N
2.Open                                           Ctrl +O
3.Save                                            Ctrl+S
4.Print                                            Ctrl+P
5.Print preview                              F12
6.spelling and Grammar                F7
7.Research                                     ALT +Click
8.Cut                                              CTRL+X
9.Copy                                           CTRL+C
10.Paste                                           CTRL+V
11.Format Painter                           (CTRL+Shift+C , CTRL+Shift+V)
12.Undo                                           CTRL+Z
13.Redo                                           CTRL+Y
14.Insert hyperlink                          CTRL+K
15.Table and Border                       
16.Insert Table
17.Insert microsoft worksheet
18.Column
19.Drawing

New:
इस ऑप्शन का प्रयोग एम एस वर्ड में एक नया ब्लैंक डॉक्यूमेंट लाने के लिए किया जाता है।

Open:

इस ऑप्शन का प्रयोग बनाये गए डॉक्यूमेंट में ओपन करने के किया जाता है।

Save:
इस ऑप्शन का प्रयोग एम एस वर्ड में बनाये जा रहे डॉक्यूमेंट को सेव करने के लिए किया जाता है।

Print:
इस ऑप्शन का प्रयोग एम एस वर्ड में बनाये जा रहे डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने के लिए किया  जाता है।

Print preview:
इस ऑप्शन का प्रयोग बांये जा रहे डॉक्यूमेंट को प्रिंट करने से पहले देखने के लिए किया जाता है। कि पेज पर मैटर कहा तथा किस प्रकार प्रिंट होगा है.

Spelling and Grammar:
इस ऑप्शन का   प्रयोग पेज पर गलत लिखे जा रहे वर्ड की जाँच करने के लिए किया जाता है।

Research:
इस ऑप्शन का प्रयोग पेज पर लिखे गए वर्ड से रिलेटेड वर्ड को लाने के लिए किया जाता है।

Cut:
इस ऑप्शन का यूज़ सेलेक्ट किये गए टेक्स्ट ,ऑब्जेक्ट ,या पिक्चर को कट करने के लिए किया जाता है।
 जिससे सेलेक्ट किया गया मैटर पेज से हट जाता है।
 इसकी शॉर्टकट कीय   CTRL + X होती है।

Copy:
इस ऑप्शन का यूज़ सेलेक्ट किये गए टेक्स्ट ,ऑब्जेक्ट ,या पिक्चर को कॉपी  करने के लिए किया जाता है।
 इसकी शॉर्टकट कीय   CTRL + C होती है।

Paste:
इस ऑप्शन का प्रयोग कट अथवा कॉपी किये गए मैटर को पुनः पेज पर लाने के लिए किया जाता है।
 इसकी शॉर्टकट कीय   CTRL + V होती है।

Format Painter:
इस ऑप्शन का प्रयोग एक टेस्ट पर दी गई फॉर्मेटिंग को दूसरे पर अप्लाई करने के लिए किया जाता है।

Insert Hyperlink:
इस ऑप्शन का प्रयोग करने पर इसका एक बॉक्स डिस्प्ले होता है जिसमे दिए गए ऑप्शन के द्वारा किसी दूसरे फाइल से लिंक बना सकते है।

Table and Border:
इस ऑप्शन का प्रयोग करने पर इसका एक बॉक्स डिस्प्ले होता है जिस मे स्थित ऑप्शन के द्वारा अपनी इच्छा अनुसार टेबल का निर्माण कर सकते है।

Insert Table:
इस ऑप्शन का प्रयोग रो और कॉलम के आधार पार टेबल बनाने के लिए किया जाता है।

Insert Microsoft excel worksheet:
इस ऑप्शन का प्रयोग एम एस एक्सेल की शीट को एम एस वर्ड के पेज पर लेन के लिए किया जाता है।

Column:
इस ऑप्शन के द्वारा एम एस वर्ड के पेज को कई कॉलम में विभाजित कर सकते है।

Drawing:
इस ऑप्शन का प्रयोग ड्राइंग टूलबार को  ऑन अथवा ऑफ करने के लिए किया जाता है।

Formatting Toolbar (फॉर्मेटिंग टूलबार):

Style and Formatting(स्टाइल एंड फॉर्मेटिंग):
इस ऑप्शन का प्रयोग करने पर इसका एक टास्कपेन डिस्प्ले डिस्प्ले होता है। जिसमे लिखे जा रहे टेक्स्ट के लिए विभन्न प्रकार के स्टाइल स्थित होते है। यहाँ से हम किसी भी स्टाइल को सेलेट करके टेक्स्ट पर अप्लाई कर सकते है।

Font(फॉण्ट):

इस ऑप्शन का प्रयोग करके अपनी आवश्यकता अनुसार फॉण्ट की स्टाइल को सेलेक्ट करके टेक्स्ट लिखा जा सकता है।

उदा ० : Calibri (Body),Arial,Comic Sans MS,Kruti Dev 011 . इत्यादि।

 Font Size(फॉण्ट साइज ):

इस ऑप्शन का प्रयोग करके टेक्स्ट को अंको के अनुसार छोटा अथवा बड़ा कर सकते है।

Bold(बोल्ड):

इस ऑप्शन का प्रयोग टेक्स्ट को थोड़ा मोटा करके लिखने के लिए किया जाता है।

Italic(इटैलिक):

इस ऑप्शन का प्रयोग टेक्स्ट के तिरछा लिखने के लिए किया जाता है।

Underline(अंडरलाइन):

इस ऑप्शन का प्रयोग टेक्स्ट के निचे एक लिने देने के लिए किया जाता है।

Align Left(अलाइन लेफ्ट):

इस ऑप्शन का प्रयोग सिलेक्टेड टेक्स्ट को पेज के लेफ्ट साइड(बाये) में ले जाने के लिए किया जाता है।

Center(सेंटर):

इस ऑप्शन का प्रयोग सिलेक्टेड टेक्स्ट को पेज के सेण्टर(बिच ) में ले जाने के लिए किया जाता है।

Align Right(अलाइन राइट):

इस ऑप्शन का प्रयोग सिलेक्टेड टेक्स्ट को पेज के राइट साइड(दाये) में ले जाने के लिए किया जाता है।

Justify (जस्टिफाई):

यह टेक्स्ट को दाये और बाये मार्जिन दोनों को सेट कर देता है।

Line Spacing(लाइन स्पेसिंग):

इस ऑप्शन का प्रयोग एक लाइन से दूसरे लाइन के बिच के स्पेस को अपनी आवश्यकता अनुसार बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Numbering(नंबरिंग):

इस ऑप्शन का प्रयोग एम एस वर्ड के पेज पर लिखे गए मैटर के शुरू में लाइन नंबर देने के लिए किया जाता है। जीससे यह पता कर सकते है। की पेज पर लिखा गया मैटर कितने लाइन का है। 

Bullets(बुलेट्स):

इस ऑप्शन का प्रयोग एम एस वर्ड के पेज पर लिखे गए मैटर के शुरू में बुलेट सिंबल देने के लिए किया जाता है।

Decrease Indent(डिक्रीस इंडेंट):

इस ऑप्शन का प्रयोग टेक्स्ट को पेज के लेफ्ट साइड में ले जाने के लिए किया जाता है।

Increase Indent(इनक्रीस इंडेंट):

इस ऑप्शन का प्रयोग टेक्स्ट को पेज के राइट साइड में ले जाने के लिए किया जाता है।

Outside Border(आउटसाइड बॉर्डर):

इस ऑप्शन का प्रयोग सिलेक्टेड टेक्स्ट के चारो तरफ बॉर्डर देने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग करने पर इसका एक लिस्ट डिस्प्ले होता है जिसमे विभिन्न फॉर्मेट में बॉर्डर स्थित होते है।

Highlight(हाईलाइट):

इस ऑप्शन का प्रयोग किसी निश्चित टेक्स्ट को हाईलाइट करने के लिए किया जाता है।

Font Color(फॉण्ट कलर):

इस ऑप्शन का प्रयोग सेलेक्टेस  टेक्स्ट के कलर को बदलने (Change) करने के लिए किया जाता है।

Saturday, May 15, 2021

मल्टी टास्किंग क्या है ? और मल्टी प्रोसेसिंग क्या है ?

मल्टी टास्किंग क्या है ?

बहुत से कार्यों को कम्प्यूटर पर किये जाने के लिए एक-दूसरे के सहारे में आवश्यकता होती है । ये कार्य मेमोरी में एक ही बार में स्टोर किये जा सकते हैं और ऑपरेटिंग सिस्टम यह निर्धारित करता है कि किस प्रोग्राम को कितने समय के लिए प्रोसेस करना है और कब अगले प्रोग्राम को प्रोसेसिंग के लिए जाना है ।
कंप्यूटिंग में, एक निश्चित समय अवधि में कई कार्यों को एक साथ क्रियान्वित करते हुए पूरा करने की अवधारणा को ‘मल्टीटास्किंग‘ कहते है ।

उदाहरण : यदि आप अपने कंप्यूटर पर गाने सुनते हुए एक वर्ड डॉक्यूमेंट बना रहे हो और साथ ही इंटरनेट से सॉफ्टवेयर डाउनलोड बैकग्राउंड में चल रहा है, इसका मतलब आपका कंप्यूटर आपके लिए ‘मल्टीटास्किंग’ कर रहा है|

             
              मल्टी प्रोसेसिंग क्या है ?

मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) प्रणाली में, दो या दो से अधिक स्वतन्त्र प्रोसेसर आपस में सामंजस्य प्रणाली के तहत जुड़े होते हैं । इस प्रकार की प्रणाली में, एक या अनेक प्रोग्रामों से आने वाले निर्देश एक ही समय में अलग-अलग प्रोसेसरों के द्वारा प्रोसेस किये जा सकते हैं ।

मल्टी प्रोग्रामिंग का अर्थ है एक ही सी. पी. यू. में भागीदारी करने वाले दो या दो से अधिक प्रोग्रामों का एक ही बार में कार्यान्विंत होना । मल्टी प्रोसेसिंग में, किसी एक समय में एक प्रोग्राम या अनेक प्रोग्रामों के विभिन्न निर्देशों को दो या दो से अधिक सी. पी. यू. कार्यान्विंत करते हैं ।
मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम का निर्माण मल्टी प्रोसेसर सिस्टम को ध्यान मे रखते हुए किया गया है । एक से अधिक प्रोसेसर उपल्ब्ध होने के कारण इनपुट आउटपुट एवं प्रोसेसींगतीनो कार्यो के मध्य समन्वय रहता है । एक ही तरह के एक से अधिक सी.पी. यू का उपयोग करने वाले सिस्टम को सिमिट्रिक मल्टी प्रोसेसर सिस्टम कहा जाता है ।

Hacker क्या है ?

Hacker क्या है ?

वह व्यक्ति जो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अन्य व्यक्तियों के कम्प्यूटर और कम्प्यूटर नेटवर्क से जानकारी गैर-क़ानूनी तरीके से उसे हानि पहुँचाने के लिए प्राप्त करता है, हैकर कहलाता है ।

Hacking का मतलब होता है Computer system में से कमजोरी को ढूँढ निकालना और फिर उसी कमजोरी का फ़ायदा उठा कर उस Computer के मालिक को Blackmail करना। Hacking एक इंसान Computer के जरिये करता है जिसको हम Hacker कहते हैं और उसे Computer का और Computer knowledge का भरपूर ज्ञान होता है इसलिए वो दूसरों की Computers से Data चुराने में माहिर होता है। Hacking का नाम सुनते ही पता चल जाता है की ये एक गलत काम है क्यंकि ये Illegal होता है और ऐसा करने से एक व्यक्ति को सजा भी हो सकती है। लेकिन हर बार Hacking करना गलत नहीं होता क्यूंकि सभी Hackers एक जैसे नहीं होते, कुछ अच्छे Hackers होते हैं और कुछ बुरे Hackers होते हैं। अच्छे और बुरे Hackers कौन होते हैं और वो क्या करते हैं चलिए आगे इसके बारे में जान लेते हैं।
logo
Hacking के प्रकार :-
•Website Hacking :-  इस प्रकार के Hacking का मतलब है की किसी web server और उसके associated software जैसे की databases और दुसरे interfaces के ऊपर unauthorized control प्राप्त करना

•Network Hacking :- इस प्रकार के Hacking का मतलब है की किसी network के ऊपर सभी information प्राप्त करना और जिनके लिए कई tools हैं जैसे की Telnet, NS lookup, Ping, Tracert, Netstat, इत्यादि. ऐसा करने का मुख्य उद्देश्य केवल network system और उसके operation को नुकशान पहुँचाने का है ।

•Email Hacking :-  इस प्रकार के Hacking का मतलब है की इसमें hacker बिना owner के permission के ही उसके email account पर unauthorized access प्राप्त कर लेता है. बाद में जिसे वो अपने illigal कामों के लिए इस्तमाल करने वाला होता है

•Ethical Hacking :- इस प्रकार के Hacking का मतलब है की किसी system या network के weakness को पहचानना और उसे ठीक करने में owner की मदद करना. ये एक safe hacking process हैं जिसमें owner के देखरेख में सभी कार्य किये जाते हैं

•Password Hacking :- इस प्रकार के Hacking का मतलब है की जिसमें secret passwords को recover किया जाता है data से जिन्हें की computer system में store किया या transmit किया जाता है किसी computer system के द्वारा

•Computer Hacking :-इस प्रकार के Hacking का मतलब है की जिसमें की hacker किसी computer system के computer ID और password को जान जाता है hacking methods के इस्तमाल से एयर जिससे वो किसी computer system पर unauthorized access प्राप्त कर लेते हैं. इससे owners को अपने data के चोरी होने का खतरा होता है।

Email Marketing क्या है ?

Email Marketing क्या है ?

किसी भी तरह की marketing जिसमे email का प्रयोग मुख्य तौर पर किया जाये तो उसे email Marketing कहा जाता है।

example के लिए मान लीजिये कि एक blogger है, जिसके पास बहुत सारे लोगों के email addresses इकठ्ठा हैं। अगर वह blogger जब भी वह अपने blog पर कोई नया blog post publish करे और उसका link उन सभी लोगों को email के द्वारा भेज दें, तो उसके blog पर बहुत सारा traffic आ सकता है। यह email Marketing का एक live example है।

Email marketing का use अलग-अलग तरह के notifications प्रदान करने के लिए भी किया जाता है। जैसे की आपको आपके Facebook account के updates आपके email पर मिलते रहते हैं। ये सब email marketing के ही examples है। इस तरह आप अनुमान लगा सकते हैं कि email marketing की कितनी आवश्यकता है किसी भी business के लिए।
logo
इसके इलावा और भी बहुत तरह से email marketing का use हो सकता है। जैसे कि कोई affiliate अपने products को promote करने के लिए email marketing का उपयोग कर सकता है। यदि कोई eCommerce website है तो वो अपने customers की engagement बढाने के लिए इसका उपयोग कर सकता है।

मेमोरी क्या है ?

मेमोरी क्या है ?

मेमोरी कम्प्यूटर का बुनियादी घटक है । यह कम्प्यूटर का आंतरिक भंडारण क्षेत्र है । केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाई (CPU) को प्रोसेस करने के लिए इनपुट डाटा एवं निर्देश चाहिए, जो की मेमोरी में संग्रहित रहता है । मेमोरी में ही संग्रहित तथा निर्देश का प्रोसेस होता है, तथा आउटपुट प्राप्त होता है । अतः मेमोरी कम्प्यूटर का एक आवश्यक अंग है ।

मेमोरी बहुत सारे सेल में बँटे होते है जिन्हें लोकेशन कहते हैं । हर लोकेशन का एक अलग लेबल होता है जिसे एड्रेस कहते हैं ।
logo
मेमोरी दो प्रकार के होते हैं :
1.प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) :

प्राथमिक मेमोरी को अक्सर मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, जो कम्प्यूटर के अन्दर रहता है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है ।
2.सहायक मेमोरी (Secondary Memory) :

इसे सहायक तथा बैंकिंग स्टोरेज मेमोरी भी कहते हैं । चँकि मुख्य मेमोरी अस्थाई तथा सीमित क्षमता वाले होते हैं इसलिए द्वितीयक मेमोरी को बड़ी मात्रा में स्थायी डेटा मेमोरी के रूप में इस्तेमाल करते हैं । ज्यादातर इसका उपयोग डेटा बैकअप के लिए किया जाता है । CPU को वर्तमान में जिस डेटा की आवश्यकता नहीं होती है उसे द्वितीयक मेमोरी में संग्रह किया जाता है ।

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर और उपभोक्ता के बीच माध्यम का काम करता है । ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक लक्ष्य कम्प्यूटर सिस्टम को प्रयोग के लिए सुविधाजनक बनाना है और इसका द्वितीय लक्ष्य कम्प्यूटर हार्डवेयर को सुचारू रूप से चलाना है ।

ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का एक सेट है जो कम्प्यूटर के संसाधनों को प्रबंधित करने के लिए डिजाइन किया गया है और जिसमें कम्प्यूटर को शुरू करना, प्रोग्रामों को मैनेज करना, मेमोरी को मैनेज करना और इनपुट तथा आउटपुट डिवाइसों के बीच के कार्यों का समन्वय करना शामिल है ।
logo
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार :
•एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम (Single User Operating System) :

एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो केवल एक उपभोक्ता को एक ही समय में कार्य करने की अनुमति देता है । एम. एस. डॉस सबसे अधिक प्रचलित एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम है ।
•मल्टी-यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi-User Operating System) :

बड़ा कम्प्यूटर अधिक कार्यकुशलता से उपयोग किया जा सकता है, यदि एक ही समय पर बहुत से उपभोक्ता इस पर काम करें । ऐसा लोकल एरिया नेटवर्क के तहत टाइम शेयरिंग मोड़ (Time Sharing Mode) में ही सम्भव है । इन बहु-उपभोक्तओं के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक उपभोक्ता को एक निश्चित समय बाँटता है और इस बात पर भी कड़ी मेहनत करता है कि आउटपुट उपकरणों को जाने वाले नतीजे आपस में मिल न जाए । युनिक्स (Unix), विंडोज 98 आदि कुछ बहु-उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम हैं ।

Tuesday, May 11, 2021

फाइल क्‍या है - What Is Computer file in Hindi -

फाइल क्‍या है - What Is Computer file in Hindi -

 File का नाम सुनते ही दिमाग में Office की कागजों से भरी फाइल सामने आती है, लेकिन Computer की भाषा में Computer File कई प्रकार की होती है और भिन्‍न-भिन्‍न तरीके से काम करती है चाहे Ms Word हो या Ms Excel हो या Power Point अपने किये गये कार्य को Computer में save करने के लिए हमें एक Computer File बनानी पडती है ताकि जरूरत पडने पर हम उस File को Open करें चाहे Edit करें या जरूरत पड़ने पर Print निकालें तो आइये अब समझते हैं कि फाइल होती क्‍या है - What is Computer file

फाइल क्‍या है - What is Computer File in Hindi

कम्‍प्‍यूटर में डाटा, प्रोग्राम, सॉफ्टवेयर आदि सुरक्षित रखने के लिए फाइल की आवश्‍यकता होती है, प्रोग्राम फाइल्‍स की सहायता से ही Computer को निर्णय लेने में मदद मिलती है इसे हम इस प्रकार भी समझते हैं कि कम्‍प्‍यूटर में प्रत्‍येक प्रोग्राम डाटा फाइल्‍स में सुरक्षि‍त रखा जाता है -

फाइल के प्रकार (Kind Of File in Hindi)

कम्‍प्‍यूटर में फाइल्‍स तीन प्रकार की होती हैं

1.डाटा फाइल (Data File)
2.प्रोग्राम फाइल (Program File)
3.उप-डाइरेक्टरी फाइल (Sub-Directory file)

डाटा फाइल - Data File in Hindi

डाटा फाइल वे फाइल होती हैं जिन्‍हें किसी सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से तैयार किया जाता है यह एक डाक्‍यूमेंट फाइल भी हो सकती है या इसके अन्‍य रूप भी हो सकते हैं जैसे Music file, picture file, MS Word file, MS EXCEL FILE, HTML फाइल इन्‍हें तैयार करने के लिए विशेष प्रकार के एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर जैसे एम0एस0 वर्ड, एम0एस0 एक्‍सल,एम0एस0 पावर पाइंट आदि की आवश्‍यकता होती है, इन फाइलों को पुनः एडिट किया जा सकता है और कोई भी डाटा इन फाइलों में सुरक्षित रखा जा सकता है

प्रोग्राम फाइल - Program File in Hindi

प्रोग्राम फाइलें वे फाइलें होती हैं जिन्‍हें किसी प्रोग्रामिंग भाषा के माध्‍यम से तैयार किया जाता है प्रोग्रामिंग भाषा एक कृत्रिम भाषा होती है जिसका प्रयोग कम्‍प्‍यूटर प्रोग्रामिंग करते समय किया जाता हैा ये फाइलें मुख्‍य रूप से चार प्रकार के Extension (विस्‍तारित नाम) के साथ .EXE, .COM, .BAT, .SYS की होती हैं कोई भी सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम जब आप खरीदते हैं या इण्‍टरनेट से डाउनलोड करते हैं तो इसमें प्रोग्राम फाइल्‍स का एक वण्‍डल होता है Program file को रन करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्‍टम की आवश्‍यकता होती है जब डाटा फाइल को रन करने के लिए एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर की आवश्‍यकता होती है, उदाहरण के लिए जब आप एम0एस0 ऑफिस का कम्‍पलीट पैकेज अपने कम्‍प्‍यूटर में इन्‍स्‍टाल कर रहे होते हैं तब असल में आप एक प्रोग्राम फाइल को रन कर रहे होते हैं

उप-डाइरेक्टरी फाइल - Sub-Directory file in Hindi

उप-डाइरेक्टरी फाइल वे फाइलें होती हैं जो आपके कम्‍प्‍यूटर में डाटा फाइल और प्रोग्राम फाइल्‍स को आर्गनाइज करती हैं जैसे आप कम्‍प्‍यूटर में एक फोल्‍डर बनाते हैं और उस फोल्‍डर के अन्‍दर दो फोल्‍डर और बनाते हैं पहले फोल्‍डर में आप एम0एस0 वर्ड की फाइल को सेव करके रखते हैं तथा दूसरे फोल्‍डर में आप एम0एस0 एक्‍सल की फाइल को सेव करके रखते हैं इस तरह से आप दोनों प्रकार की डाटा फाइल को अलग-अलग डाइरेक्टरी में आर्गनाइज कर सकते हैं इन्‍हें Disk file के रूप में भी प्रयोग किया जाता है

कंप्‍यूटर फाइल को हिंदी में क्या कहते हैं - Computer File Meaning Hindi
Computer File का मतलब क्या होता है हिंदी में - Computer file को हिंदी में संगणक संचिका कहते हैं


फाइल का नाम क्‍या होता है (What is the name of the file)

कम्‍प्‍यूटर में किसी भी फाइल के नाम को दो भागों में विभाजित किया जाता हैा पहला भाग किसी भी कम्‍प्‍यूटर यूजर द्वारा या एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा दिया हो सकता हैा जो फाइल का नाम प्रदर्शित करता है यूजर यदि चाहे तो इसे रीनेम करके बदल भी सकता है

फाइल के नाम का दूसरा भाग विस्‍तारित नाम या एक्‍स्‍टेंशन को प्रदर्शित करता है और यह बताता है कि यह फाइल किस एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर में तैयार की गई है या यह किस प्रकार की प्रोगाम फाइल है, फाइल के नाम को और एक्‍स्‍टेंशन को डाट (.) की सहायता से जोड़ा जाता है, एक डाइरेक्टरी या सब डाइरेक्टरी में एक ही फाइल नेम और एक्‍स्‍टेंशन की दो फाइलें नहीं हो सकती हैं

फाइल का नाम रखते समय ध्‍यान रखने लाइक बातें
•एक फाइल का नाम रखते समय आप फाइल के नाम में निम्‍नलिखत ग्‍यारह शब्‍दों का प्रयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन इन शब्‍दों का प्रयोग अन्‍य शब्‍दों के साथ मिलाकर कर सकते हैं- COM, COM2, COM3, COM4, AVX, CON, LPT1, LPT2, LPT3, NUL, PRN
•फाइल नाम में निम्‍नलिखित चिन्‍हों का प्रयोग नहीं होना चाहिए-? *, /,\, {, }, ., <,>, =
•फाइल का नाम अंग्रेजी वर्णमाला में प्रयुक्‍त अक्षर A से Z, a से z तथा 0 से 9 तक के अंक तथा विशेष चिन्‍ह; जैसे $, &, (,), #, -, @, !, % की सहायता से ही रखा जाना चाहिएा
•फाइल का नाम एवं फाइल का विस्‍तारित नाम जोड़ने के लिए डॉट (,) का प्रयोग करना चाहिए

कम्प्यूटर में ड्राइव क्‍या होती है - What is a Drive in a Computer

डाइव कम्‍प्‍यूटर से सम्‍बन्धित हार्डवेयर है आजकल मुख्यतः तीन प्रकार की ड्राइव हार्ड डिस्‍क ड्राइव (Hard Disk Drive), फलाफी डिस्‍क ड्राइव (Floppy Disk Drive) और काम्‍पैक्‍ट डिस्‍क ड्राइव (Compact Diks Drive) प्रयोग की जा रही है, हार्ड डिस्‍क को C, D .... ड्राइव नाम से प्रदर्शित किया जाता है एवं फ्लॉपी डिस्क ड्राइव को A एवं B ड्राइव नाम से प्रदर्शित किया जाता है

वर्तमान में कम्‍प्‍यूटर में A और B ड्राइव प्रदर्शित नहीं होती हैं उसका आशय यह है कि वर्तमान में फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का इस्‍तेमान नहीं हो रहा है जब शुरूआत में Computer बनाये गये थे तब स्‍टोरेज डिवाइस के तौर पर फ्लापी डिस्‍क ड्राइव का इस्‍तेमाल किया जाता था जिसके लिए ड्राइव A और ड्राइव B नाम आरक्षित किया गया था तथा यह परम्‍परा तभी से चली आ रही है हालांकि वर्तमान में फ्लापी डिस्‍क ड्राइव का प्रयोग नहीं किया जाता है लेकिन फिर भी ड्राइव A और ड्राइव B नाम अभी भी रिजर्व है जब आप कोई हार्ड डिस्‍क या काम्‍पेक्‍ट डिस्‍क अपने कम्‍प्‍यूटर में इस्‍तेमाल करते हैं तो ड्राइव का नाम C और D से शुरू होता है

फाइल पाथ क्‍या होता है (What is a File Path)

जब हम किसी फाइल को कम्‍प्‍यूटर में सेव करते हैं किसी Directory और subdirectory के भीतर तो उस तब पहुंच का मार्ग होता है उसे फाइल पाथ कहते हैं यानी किसी फाइल को प्राप्‍त करने के लिए डाइव की मूल डाइरेक्टरी एवं उसकी उप-डाइरेक्टरी में जाने की आवश्‍यकता होती हैं जिसमें फाइल सुरक्षित है इस प्रकार फाइल का रास्‍ता कम्‍प्‍यूटर को बताना फाइल का पाथ प्रदर्शित करना कहा जाता है प्रत्‍येक डाइरेक्टरी को अलग करने के लिए Back Slash (\) का प्रयोग किया जाता है

उदाहरण के लिए हम इस पाथ को देखते हैं - D:\Bill\Bank PDF


इसमें डाइव D है जिसकी डाइरेक्टरी Bill और उप-डाइरेक्टरी Bank PDF है इसे देखने भर से पता चल जायेगा कि फाइल कहां सुरक्षित की गई है फाइल पाथ का अर्थ यही है कि यह उस रास्‍ते को दर्शाता है जहां हम फाइल सुरक्षित करना चाहते हैं या तो हमने फाइल को सुरक्षित किया है

फाइल और फोल्डर में क्या अंतर है - Differences Between File and Folder

जैसा कि हमने जाना कि फ़ाइल कुछ डेटा का एक संग्रह है, लेकिन फ़ोल्डर एक ऐसा स्‍थान में होता है जहां पर फाइलों का ऑर्गनाइज किया जा सकता है जिससे एक जैसी फाइलों को एक स्‍थान पर रखा जा सकते हैं फाइलों तक पहुॅचने के लिये कंप्‍यूटर फाइल पाथ का यूज करता है

Monday, May 10, 2021

कैसे माउस के बिना भी आपके कंप्यूटर को इस्तेमाल करें (Use Your Computer Without a Mouse)

कैसे माउस के बिना भी आपके कंप्यूटर को इस्तेमाल करें (Use Your Computer Without a Mouse)

विधि 1 का 2:
विंडोज पर (On Windows)  

 
1  बेसिक कीबोर्ड शार्टकट इस्तेमाल करके देखें: आप चाहें तो कंप्यूटर पर सामने खुली हुई विंडो पर कहीं भी जाने के लिए और किसी भी आइटम को चुनने के लिए कीबोर्ड के एरो कीस का इस्तेमाल कर सकते हैं, और साथ ही डेस्कटॉप या विंडोज एप (जैसे कि, फाइल एक्स्प्लोरर) खुले होने पर,कोई एक अक्षर लिखकर, आप सीधे उस अक्षर से शुरू होने वाले आइटम के नाम पर पहुँच जाएँगे। यहाँ पर इस्तेमाल किये जाने के लायक और भी अन्य कीबोर्ड शार्टकट दिए गए हैं:[१]

  • Alt+Tab ↹ — खुली हुई विंडो के बीच में स्विच करने के लिए।
• Alt+F4 — खुले हुए एप या विंडो को बंद करने के लिए।
• ⊞ Win+D — सारी खुली हुई विंडो को मिनीमाइज करके, सीधे डेस्कटॉप पर जाने के लिए।
• Ctrl+Esc — स्टार्ट (Start) मेन्यू खोलने के लिए।
• ⊞ Win+E — फाइल एक्स्प्लोरर (File Explorer) खोलने के लिए।
• ⊞ Win+X — एडवांस (Advanced) सेटिंग मेन्यू खुल जाएगा।
• ⊞ Win+I — सेटिंग्स (Settings) खोलने के लिए।
• ⊞ Win+A — एक्शन सेंटर (Action Center) खोलने के लिए।
 
2  आपके कंप्यूटर पर नंबर पैड होने की पुष्टि करें: यदि आपके कंप्यूटर के कीबोर्ड के दाँये तरफ नंबर कीस (कीबोर्ड में सबसे ऊपर नंबर कीस की एक लाइन के अलावा) का एक भाग नहीं है, तो फिर आप इस विधि का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। •आप पहले स्टेप में दिए हुए कीबोर्ड शार्टकट जरुर इस्तेमाल कर सकते हैं।


3 स्टार्ट (Start) इमेज का टाइटल Windowsstart.png खोलें: ऐसा करने के लिए ⊞ Win की (जिस की पर विंडोज लोगो बना हुआ हो) को दबाएँ। अब आपके सामने स्टार्ट विंडो को खुला हुआ पाएँगे।
 •आप चाहें तो स्टार्ट मेन्यू को खोलने के लिए Ctrl+Esc भी दबा सकते हैं।

4  ease of access टाइप करें: इस तरह से आपके कंप्यूटर में Ease of Access Center की खोज होगी।


5   Ease of Access Center चुनें: यदि जरूरत हो तो, स्टार्ट विंडो में सबसे ऊपर मौजूद इस विकल्प को चुनने के लिए एरो की इस्तेमाल करें, और फिर ↵ Enter दबाएँ। अब Ease of Access Center आपके सामने मौजूद होगा।


6   Make the keyboard easier to use को चुनें: ये विंडो के बीच में मौजूद एक लिंक होगी। आप जब तक इस विकल्प को चुन नहीं लेते, तब तक ↓ की को दबाते रहें, फिर उसे खोलने के लिए ↵ Enter दबाएँ।

7   Set up Mouse Keys चुनें: आप नीले रंग की इस लिंक को, पेज में सबसे ऊपर पाएँगे। इस तक पहुँचने के लिए, ↓ की इस्तेमाल करें और फिर ↵ Enter दबाएँ।


8   माउस कीस (Mouse Keys) एनेबल करें: जब तक "Turn on Mouse Keys" बॉक्स और टेक्स्ट की लाइन नहीं चुन ली जाती, तब तक ↓ की को दबाएँ और फिर + की दबाएँ।


9   नीचे "Pointer speed" भाग तक स्क्रॉल करें: आप जब तक "Pointer speed" भाग में "Top speed" स्लाइडर को नहीं चुन लेते, तब तक ↓ की दबाते रहें।


10   पॉइंटर की स्पीड को एडजस्ट करें: आप जैसे ही किसी एक वैल्यू को एडजस्ट कर लेते हैं, फिर आप Tab ↹ की दबाकर, अगले भाग पर जा सकते हैं:
• Top speed — तय करता है, कि आपका पॉइंटर कितनी तेज़ी से मूव होगा। माउस स्पीड को सबसे तेज़ करने के लिए → की दबाएँ या फिर इसे कम करने के लिए ← दबाएँ। इस सेटिंग को लगभग ज्यादा (जैसे कि 75 परसेंट या इससे ज्यादा) ही सेट होना चाहिए।

• Acceleration — तय करता है, कि आपका पॉइंटर कितनी तेज़ी से इसकी मैक्सिमम स्पीड पर पहुँचता है। इसकी गति को बढ़ाने के लिए, → की दबाएँ या फिर गति को कम करने के लिए ← दबाएँ। इस सेटिंग को लगभग 50 परसेंट तक ही होना चाहिए।


11  OK चुनें: ये विंडो में सबसे नीचे मौजूद होगा। ऐसा करते ही माउस की एनेबल हो जाएँगी और आप विंडो से बाहर आ जाएँगे।

12   पॉइंटर के आसपास मूव करने के लिए, नंबर पैड का इस्तेमाल करें: आप चाहें तो माउस को बाँये, ऊपर, दाँये और नीचे ले जाने के लिए, क्रमशः 4, 8, 6 और 2 कीस इस्तेमाल कर सकते हैं|
 • 1, 7, 9 और 3 कीस का इस्तेमाल, आपके माउस को 45° एंगल पर मूव करेगा।
•आपका माउस यदि मूव ही नहीं हो रहा है, तो फिर पहले Num (या कुछ कंप्यूटर पर, Fn+Num) दबाएँ और फिर दोबारा माउस मूव करने की कोशिश करें।


13  क्लिक करने के लिए 5 की दबाएँ: आप इस की को नंबर पैड में एकदम बीच में पाएँगे।
•यदि 5 को दबाने पर, आपके सामने एक ड्रॉप-डाउन मेन्यू आता है, तो फिर नंबर पैड में इस फीचर को डिसेबल करने के लिए / दबाएँ। ऐसा करने के बाद आप 5 इस्तेमाल करके, क्लिक कर सकेंगे।

14  राईट-क्लिक मेन्यू सामने लेकर आएँ: हर एक विंडोज कंप्यूटर पर एक "कॉन्टेक्स्ट मेन्यू (context menu)" की होती है, जो अक्सर ही एक बॉक्स के अंदर एक ☰ सिंबल की तरह नजर आती है। किसी भी आइटम (जैसे कि, एक आइकॉन) को चुनकर, इस की को दबाने पर, आपके सामने एक राईट-क्लिक मेन्यू आ जाएगा।
•एक बात को ध्यान में रखिये कि किसी भी चीज़ को 5 की के द्वारा एक एक बार क्लिक करते ही, स्क्रीन के कोने में राईट-क्लिक एक ड्रॉप-डाउन दर्शा देगा।

विधि 2 का 2:
मैक पर (On Mac)

1  बेसिक कीबोर्ड शार्टकट इस्तेमाल करके देखें: आप चाहें तो कंप्यूटर पर सामने खुली हुई विंडो पर कहीं भी जाने के लिए और किसी भी चीज़ को चुनने के लिए आपके मैक के कीबोर्ड के एरो कीस और साथ ही ⏎ Return की का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन आप यदि कोई और कठिन काम करना चाहते हैं, तो फिर कीबोर्ड शार्टकट का इस्तेमाल करें:[२]


  • ⌘ Command+Q — किसी एप को (या फिर खुली हुई विंडो को) बंद करने के लिए।
• ⌘ Command+Space — स्क्रीन के बीच में स्पॉटलाइट (Spotlight) सर्च बार खोलने के लिए।
• ⌘ Command+Tab ↹ — अगली विंडो पर जाने के लिए।
• ⌘ Command+N — डेस्कटॉप पर होने पर, एक नई फाइंडर (Finder) विंडो को खोलने के लिए।
• Alt+F2, के बाद ⌘ Command+L — सिस्टम प्रेफरेंस (System Preferences) खोलने के लिए।
• Ctrl+F2 — एप्पल मेन्यू (Apple Menu) (इसे खोलने के लिए ⏎ Return दबाएँ) चुनने के लिए।


2   Accessibility Options विंडो को खोलें: आपके मैक मॉडल के अनुसार, ऐसा करने के लिए, इनमें से किसी कीबोर्ड शार्टकट का इस्तेमाल करें:[३]

   • टच बार के साथ मैकबुक (MacBook with Touch Bar) — तीन बार जल्दी-जल्दी टच आईडी (Touch ID) बटन को टैप करें।
• टच बार के बिना मैकबुक (MacBook without Touch Bar) — एक ही बार में Fn+⌥ Option+⌘ Command+F5 को दबाएँ।
• आईमैक/iMac (डेस्कटॉप मैक) — एक बार में ⌥ Option+⌘ Command+F5 दबाएँ।


3   माउस कीस (Mouse Keys) एनेबल करें: ऐसा करने के लिए, टच आईडी बटन को तीन बार टैप करें (MacBook with Touch Bar) या फिर ⌘ Command+⌥ Option+F5 (अन्य सभी मैक पर) दबाएँ।
•आप चाहें तो "Enable Mouse Keys" बॉक्स को चुनने के लिए ↓ एरो कीस भी इस्तेमाल कर सकते हैं और फिर इसे चेक करने के लिए ⏎ Return (या कुछ कंप्यूटर में Spacebar) दबाएँ।

4   Accessibility Options विंडो को खुला रहने दें: ऐसा करने पर आप माउस कीस को उन्हीं कीबोर्ड शार्टकट से डिसेबल कर पाएँगे, जिनसे आपने इन्हें एनेबल किया था।
 •माउस कीस के एनेबल होते हुए, आप कुछ भी नहीं लिख सकते हैं।

5  आपके माउस कर्सर को घुमाएँ: U, 8, O और K कीस की मदद से आप आपके कर्सर को क्रमशः, बाँये, ऊपर, दाँये या नीचे मूव कर सकेंगे।
• J, 7, 9 या L कीस को दबाने पर आपका कर्सर 45° एंगल से क्रमशः नीचे की तरफ बाँये, बाँये की तरफ ऊपर, ऊपर की ओर दाँये और नीचे की तरफ दाँये मूव होगा।

6   5 की से क्लिक करें: आप जब माउस की का इस्तेमाल करेंगे, तब 5 की बाँये-क्लिक की तरह काम करेगा।
 •आप चाहें तो राईट-क्लिक करने के लिए, 5 को टैप करके Control भी दबाकर रख सकते हैं।

7   माउस को दबाकर रखें: पॉइंटर को किसी आइकॉन के ऊपर रखकर, और फिर M की दबाने से एक "hold" एक्शन तैयार होगा, जिससे फिर आप मूवमेंट कीस की मदद से किसी आइकॉन को माउस पॉइंटर के नीचे ड्रैग कर सकेंगे।
 •ये तब आपके लिए मददगार होगा, जब आप किसी होल्ड-सेंसिटिव (hold-sensitive) मेन्यू, जैसे कि ट्रैश मेन्यू (Trash menu) को एक्टिवेट करने का प्रयास कर रहे हों।
•आप होल्ड को रिलीज़ करने के लिए . दबा सकते हैं।

WordPad क्या है और WordPad कैसे यूज करें

WordPad क्या है और WordPad कैसे यूज करें

वर्डपैड के बारे में शायद आपमें से कुछ ही लोगों ने सुना होगा लेकिन वर्डपैड आपके ऑपरेटिंग सिस्‍टम के साथ आने वाला वर्ड प्रोसेसर एप्‍लीकेशन है जो बिलकुल फ्री है अगर आपके कंप्‍यूटर में MS Word नहीं है तब आप वर्डपैड का इस्‍तेमाल कसकते हैं और लेटर राइटिंग जैसे काम कर सकते हैं यहां हम जानने वाले हैं कि
वर्डपैड एक Word Processor है जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने Window 95 के लिये जारी किया था ये माइक्रोसॉफ्ट नोटपेड से बेहतर और आसान है नोटपैड से पहले माइक्रोसॉफ्ट राइट को इस्‍तेमाल किया जाता था यह माइक्रोसॉफ्ट राइट के स्‍थान पर जारी किया गया एक Word Processor है जिसे Microsoft Foundation Class (MFC) के नाम से भी जाना जाता है

वर्डपैड का इतिहास

वर्डपैड Notepad की तुलना में अधिक Advance हैं परंतु Microsoft Word की तुलना में कम फीचर हैं यदि आप Simple Documents बनाना चाहते हैं तो वर्डपैड आपके लिए बेहतरीन Option हैं जिसका इस्‍तेमाल आप Documents जैसे Letters, Notes इत्‍यादि बनाने में उपयोग कर सकते हैं माइक्रोसॉफ्ट WordPad Windows 95 ऑप‍रेटिंग सिस्‍टम के बाद के सभी Windows में पाया जाता हैं, Windows 95 से वर्डपैड को Microsoft Write के स्‍थान पर Replace किया गया Microsoft Write एक वर्ड प्रोसेसर Software था Microsoft ने इसे पहली बार 1983 में Microsoft Dos के साथ इसका इस्‍तेमाल किया था
 
वर्डपैड की विशेषताएं

जिस तरह Notepad का उपयोग किया जाता हैं उसी तरह WordPad का उपयोग किया जाता हैं लेकिन WordPad में Notepad से ज्‍यादा फीचर्स हैं जिनकी मदद से आप अपनी फाइलों में कई तरह की Formatting कर सकते हैं अगर आप Window XP में WordPad का इस्‍तेमाल करते है तो आपको कुछ फंक्‍शन कम होगे लेकिन अगर आप Windows XP से ऊपर के Windows का उपयोग करते हैं जैसे Windows 7,8 इत्‍यादि तो उसमें आपको वर्डपैड के सारे Functions मिलेंगे इसमें आप Letter pad का काम कर सकते हैं और Formatting कर सकते हैं जैसे बोल्‍ड, Italic, इत्‍यादि आप वर्ड में सामान्‍य और छोटी फाइले इसमें बना सकते हैं
माइक्रोसॉफ्ट वर्डपैड इस्‍तेमाल करने के लिए न तो आपको इसे डाउनलोड करने की आवश्‍यकता है और न ही इसे Install करने की आवश्‍यकता हैं यह Windows के साथ आने वाला Pre Installed Software हैं जो Window 95 से लेकर Window 10 तक सभी Operating Systems में उपलब्‍ध हैं अगर आपने अपने कंप्‍यूटर में माइक्रोसॉफ्ट वर्ड Install नहीं किया हैं तब आप MS WordPad का इस्‍तेमाल बहुत आसानी से कर सकते हैं

वर्ड पैड के मुख्‍य भाग -

WordPad Button


ये वर्ड पैड का प्रमुख भाग हैं यह बटन Menu में होता हैं इसमें WordPad में बनने वाली फाइलों के कई विकल्प‍ दिए होते हैं इसमें आपको Save, Open, Print, इत्‍यादि Command दी जाती हैं इन्‍ही से WordPad Document पर कार्य करते हैं इसमे हम Shortcut Keys का उपयोग करते हैं जैसे Open के लिए Ctrl+O, New के लिए Ctrl+N, Save के लिए Ctrl+S, Print के लिए उपयोग करते हैं Ctrl+P, इत्‍यादि का उपयोग करते हैं

Quick Access Button

यह एक विशेष भाग हैं ये माइक्रोसॉफ्ट के विभिन्‍न Text Editor Program में दिया गया हैं इसका उद्देश्य‍य बार बार उपयोग होने वाली Commands और Buttons को एक जगह Store करना होता हैं इसकी मदद से काम शीघ्रता से होता हैं Quick Access Toolbar में कुछ Command जैसे Save, Text, Print इत्‍यादि को Add कर दिया जाता हैं जिससे आप इन्‍हें एक क्लिक से Use कर सकते हैं


Title Bar

यहां WordPad में बनाई गई फाइल के नाम को दिखाया जाता हैं जब तक फाइल को Save नहीं किया जाता तब तक फाइल का नाम नहीं दिखाया जाता हैं वहां Document लिखा होता हैं जैसे ही फाइल को किसी नाम से Save किया जाता हैं फिर वह फाइल नाम से दिखाई देता हैं

Ribbon

Ribbon विंडो का एक और भाग हैं यह Title bar से नीचे होता हैं इसमें WordPad Tabs को दिखाया जाता हैं

Ruler Bar

ये Text Area के ऊपर होता हैं इससे हम Page Margin का पता लगाते हैं Documents को बनाने से पहले या बाद में Page Margin किया जाता हैं उतना Margin दिखाने के लिए Ruler Bar में दोनो तरफ Ruler लग जाता हैं फिर जो हम Text लिखते हैं वो उससे बाहर नहीं जाता

Status Bar

ये Text Area के बिल्‍कुल नीचे होता हैं इस बार में Zoom Level बटन होता है जिसकी सहायता से पेज को Zoom In और Zoom Out किया जाता है Zoom In की मदद से पेज को बडा किया जाता है जबकि Zoom Out से पेज को छोटा किया जाता हैं

Text Area

यह वर्ड पैड का अति महत्‍वपूर्ण भाग होता है इसी क्षेत्र में Document Text को लिखा जाता हैं इसे पेज भी कहते हैं समस्‍त प्रकार के टाइपिंग कार्य यही पर किए जाते हैं

WordPad के अन्‍य फीचर

Search and Replace

हालांकि हम जानते है कि वर्ड पैड में Spell Checker मौजूद नहीं होता,परंतु आप Document के किसी भी पेज में Word को Find and Replace कर सकते हैं WordPad Software में Home Tab में जाकर Editing Group में क्लिक करे और अब आप यहॉं से किसी भी Word को Find कर Replace कर सकते हैं इसके अलावा अन्‍य वर्ड Processor की तरह आप यहां भी Cut, Copy and Paste कर सकते हैं

File Format

वर्डपैड में आप फाइलों को Text Format में Create, Open and Save कर सकते हैं हालांकि आपका यह जानना जरूरी है कि माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2007 और 2010 में Create किए गए वर्ड Same नहीं देख सकते हैं क्‍योंकि वर्ड पैड में वर्ड की तरह Editing Features नहीं होते हैं

Graphics

आप वर्ड पैड Documents में ग्राफिक्‍स को Add कर सकते हैं इसके लिए WordPad Software में जाना होगा तथा Home Tab में जाकर Insert पर क्लिक कीजिए उसके बाद Picture पर क्लिक कीजिये वर्ड की तरह वर्ड पैड में Picture को Add कर सकते हैं आप इन Images को दूसरे यूजर के साथ शेयर कर सकते हैं

Formatting Option

हालांकि वर्ड पैड के पुराने वर्जन में Text को Format करने के काफी कम विकल्‍प थे परंतु नये वर्जन में यदि आपकों Text को Format करना हैं तो Text को Select करे और Home Tab पर क्लिक करें इसमें आप Font का Size और दूसरा Font बदल सकते हैं और अगर आप चाहें तो Text को Select करके उस Text पर Bullets का Use कर सकते हैं आप Font को Italic, Underline इत्‍यादि भी कर सकते हैं

वर्डपैड का उपयोग

•Documents Create करने के लिए ही वर्डपैड इस्‍तेमाल करने की सलाह दी जाती हैं आप इसे लाइट Application बोल सकते हैं तथा इसका सिंपल इंटरफेस यूज़र को किसी भी Document को करने की अनुमति देता हैं
•आप वर्डपैड में Templates का इस्‍तेमाल कर सकते हैं साथ ही Documents Create करते समय Page के साइज के साथ साथ आप Look को भी बदल सकते हैं और साथ ही WordPad Page Margin बदलने की भी अनुमति भी देता हैं
•वर्डपैड उपयोग करने का मुख्‍य फायदा है कि User Documents Create करते वक्‍त Saved Documents को भी देख सकता हैं और अन्‍य Documents को भी Edit कर सकते हैं Documents Create करते वक्‍त User Pictures को Insert कर सकते हैं और Documents का Look माइक्रोसॉफ्ट वर्ड की तरह बना सकते हैं


MS WordPad को Open करना सीखें

Windows में वर्डपैड मौजूद होता हैं इसीलिए आपको इसे बाहर से Install कराने की जरूरत नहीं होती आइये अब जानते हैं कि आप इसे कैसे Open कर सकते हैं

•सबसे पहले कंप्‍यूटर में Windows Key दबाये
•उसके बाद सर्च बार दिखाई देगा उसमे वर्डपैड टाइप करें फिर आपको ऊपर वर्डपैड Application दिखाई देगी उस पर क्लिक करे
•वर्ड पैड Open हो जाएगा
•और अगर आप Commands की मदद से वर्डपैड Open करना चाहते है तो भी कर सकते हैं
•Run Command की मदद से वर्डपैड को Access कर सकते हैं इसके लिए Window Key+R को एक साथ दबायें इसके बाद आपके सामने RUN कमांड ओपन हो जाएगी अब Search Box में "Write" Type करें और Ok पर क्लिक करे तो हमारा वर्डपैड ओपन हो जाएगा

जानिये अपने कम्‍प्‍यूटर की-बोर्ड को


computer keyboard information in hindi - जानिये अपने कम्‍प्‍यूटर की-बोर्ड को


  की-बोर्ड टाइपराटर जैसा उपकरण होता है जिसमें कम्प्यूटर में सूचनाए दर्ज करने के लिए बटन दिये गये होते हैं जिन्‍हें हम की (key) कहते है

टाइपराइटर कीज:- Typewriters
ये की बोर्ड का मुख्‍य हिस्‍सा होता है, यह मुख्‍यत टाइपिंग सम्‍बन्‍धी कार्य को करने में काम आता है, इन्‍हीं की से हम किसी भी भाषा में टाइप कर सकते हैं, इसके लिये सिर्फ हमको कम्‍प्‍यूटर में फान्‍ट बदलना होगा।

फक्शन कीज :- Function Keys
टाइपराइटर की के सबसे ऊपरी भाग में एक लाइन में एफ-1 से लेकर एफ-12 संख्या तक रहती है। किसी भी साफ्टवेयर पर काम करते समय इनका प्रयोग उसी साफ्टवेयर में दी गयी सूची के अनुसार अलग अलग तरीके से किया जाता हैा

 कर्सर कंट्रोल कीज :-  Cursor control keys
इन कीज से कम्‍प्‍यूटर के क्रर्सर को नियंत्रित किया जाता है, इससे आप कर्सर को अप, डाउन, लेफ्ट, राइट आसानी से ले जाया जा सकता है, यह की बोर्ड पर ऐरो के निशान से प्रर्दशित रहती है।
की-बोर्ड पर ऐरो कीज के ठीक ऊपर कुछ और कर्सर कन्ट्रोल कीज भी मौजूद रहती है। ये इस प्रकार है-

पेज अप कीज :- Page Up keys
इनका प्रयोग डाक्यूमेंट के पिछले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
पेज डाउन कीज:- Page Down keys
इनका प्रयोग अगले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।

होम की:- Home Key
इसका प्रयोग कर्सर लाइन के शुरू में लाने के लिए होता है।

एंड की:- End Key
यह की कर्सर को लाइन के अंत में ले जाती है।

न्यूमेरिक की पैड:- numeric keypad
की-बोर्ड की दाई ओर न्यूमेरिक की-पैड होता है जिसमें कैलुक्यूलेटर के समान कीज होती है। इनसे से कुछ कीज दो काम करती हैं। न्यूमेरिक कीज के दोनो कार्यो को आपस में बदलने के लिए नम लोक की का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए-संख्या 7 युक्त की, होम की के रूप में केवल तभी काम करती है। जब नम लोक की आफ होती है। जब नम लोक की आन होती है। तो 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0 चिनिहत कीज, न्यूमेरिक कीज के रूप में काम करती है। इनमें से किसी को भी दबाने पर स्क्रीन पर एक संख्या दिखाई देता है।

कैप्स लाक की :- Caps Lock
सामान्यतया अक्षर लोअर केस मे ही टाइप होता है। यदि आप एक बार कैप्स लाक की को दबा दे तो टाइप किया जानेाला अक्षर अपर केसा में टाइप केस में टार्इप होता है। इसे वापस लोअर केस में टाइप करने के किए एक बार फिर कैप्स लोक दबा दें।

शिफ्ट कीज :- Shift Keys
इसको दबाकर यदि आप कोर्इ अक्षर की दबाए तो वह अपर केस अक्षर में ही टाइप होगी। यदि कैप्स लाक आन की सिथति में हो तो यह कि्रया उलट जाएगी। जब एक की पर दो चिन्ह या कैरेक्टर बने हों तब शिप्ट की दबाने से ऊपरी चिन्ह स्क्रीन पर दिखाई देगा।

कंट्रोल एंव आल्ट कीज :- Ctrl and Alt keys
कंट्रोल एंव आल्ट कीज का प्रयोग अकसर कोर्इ विशेष काम करने के लिए अन्य की के साथ संयुक्त् रूप में किया जाता है। जैसे- कंट्रोल और सी को एक आप डोस प्राम्प्ट पर लौट आते है। कंट्रोल आल्ट और डिलीट कीज को एक साथ क्रमवार दबाने से मशीन स्वयं ही दोबारा शुरू हो जाती है।

एंटररिटर्न :- Enter Return keys
एंटर की को रिर्टन की भी कहा जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से दो कार्यो के लिए किया जाता है। पहला यह पीसी को सूचना देता है कि आपने निर्देश देने का काम छोड दिया है। अत: वहा दिए गए निर्देशों को प्रोसेस या एक्जीक्यूट करें। दूसरा माइक्रोसाफ्ट वर्ड प्रोग्राम का प्रयोग करते समय एन्टर की दबाने पर नया पैराग्राफ या पंकित शुरू हो जाती है।

टैब की :- Tab
यह कर्सर को एक पूर्वनिर्धारित स्थान पर आगे ले जाती है। इसके द्वारा आप पैराग्राफ शुरू कर सकते है तथा कालम, टैक्स्ट या संख्याओं को एक सीध में लिख सकते है। कुछ साफ्टवेयरों में यह मेन्यू में एक विकल्प से दूसरे विकल्प पर जाने में मदद करती है।

डिलीट की :- Delete
कर्सर की दार्इ ओर लिखे कैरेक्टर या स्पेस को आप इसको दबाकर मिटा सकते है।

बैकस्पेस की :- Back Space
इसे दबाकर आप कर्सर के बाईं और लिखे अक्षर को मिटा सकते है। ऐसा करने पर कर्सर अन्त में टाइप किए गए अक्षर को मिटाने हुए बाईं ओर लौटता है।

शटडाउन करने के लिये डेस्‍कटॉप पर आइकन कैसे बनायें

How to create a shutdown icon on the desktop शटडाउन करने के लिये डेस्‍कटॉप पर आइकन कैसे बनायें

नोटपैड को ओपन कीजिये।
उसमें यह कोड पेस्‍ट कर दीजिये

 shutdown -s -t 2

अब इस नोटपैड फाइल किसी भी ड्राइव में सेव कर कीजिये, सेव करते समय इस फाइल को .bat नाम से सेव कीजिये।

उदाहरण के लिये मान लीजिये हम इस File को shutdown नाम से सेव करते है तो उसे shutdown.bat नाम से सेव कीजिये।

सेव करते ही आपकी ड्राइव में shutdown.bat फाइल बन जायेगी।

अब इस File पर माउस की राइट क्लिक कीजिये।

मेन्‍यू में Send to - > Desktop (Create Shortcut) को सलैक्‍ट कीजिये।

अब अपने कम्‍प्‍यूटर के डेस्‍कटॉप पर आ जाइये।

यहॉ shutdown.bat नाम के शार्टकट पर माउस से राइट क्लिक कीजिये और Properties पर क्लिक कीजिये।

यहॉ शार्टकट टैब को सलैक्‍ट कीजिये।

जहॉ Shortcut key लिखा है, उसे कॉलम में माउस से क्लिक करने के बाद की-बोर्ड से Ctrl+Alt बटन के साथ में "S" Key को दबाइये। ऐसा करने से वहॉ आपको Shortcut key - Ctrl+Alt+S दिखाई देगी।

अगर आप इसका आइकन भी बदलना चाहते हैं तो Change Icon पर क्लिक कीजिये।

अब यहॉ दिखाई देने वाले किसी भी आइकन को सलैक्‍ट कर लीजिये, या शटडाउन के आइकन को सलैक्‍ट कर लीजिये, इसके बाद OK पर क्लिक कीजिये।

अब आपका शटडाउन आइकन और शार्टकट दोनों तैयार हो गये हैं।

अब जब आप इस आइकन पर क्लिक करेंगे या Ctrl+Alt+S दबायेगें तो आपका कम्‍प्‍यूटर शटडाउन हो जायेगा

Saturday, May 8, 2021

Hard Disk क्या है ?

Hard Disk क्या है ?

हार्ड डिस्क को सिस्टम यूनिट के भीतर जोड़ दिया जाता है । यह एक बाहरी स्टोरेज उपकरण है और कंप्यूटर की सैकेण्डरी मेमोरी के रूप में भी जाना जाता है । कंप्यूटर बंद करने के बाद भी हार्ड डिस्क में संग्रहित सूचनाएँ वैसी ही रहती हैं । हार्ड डिस्क में संग्रहित सूचनाओं को बाद में संशोधित भी किया जा सकता है । हार्ड डिस्क लाइट एलॉय की बनी होती है और उसके दोनों और मैग्नेटाइज्ड ऑक्साइड की परत चढ़ी होती है

यह डिस्क ड्राइव पर बहुत तेजी से घूमती है । आँकड़ों को डिस्क पर सघन ट्रैकों के साथ स्टोर किया जाता है । ये ट्रैक फिर से सैक्टरों में बँटे होते हैं । ट्रैक इनडैक्स रिकॉर्डों को सीधे तौर पर ढूँढ लेता है । सभी सतहों पर एक ही रिकॉर्ड के सभी ट्रैकों को मिलाकर एक सिलेण्डर का नाम दिया गया है ।

Input Device क्या है ?

Input Device क्या है ?

इनपुट डिवाइस एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर को डेटा भेजता है, जिससे आप कंप्यूटर से संपर्क कर सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं। एक इनपुट डिवाइस कंप्यूटर पर डेटा भेजने के लिए उपयोग किया जाने वाला हार्डवेयर या बाह्य उपकरण है

इनपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में आँकड़ें डालने के लिए किया जाता है । इनपुट डिवाइस एक उपकरण है जो कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करता है । की-बोर्ड सबसे अधिक प्रचलित इनपुट उपकरणों में से एक है जिसका प्रयोग कंप्यूटर में आंकड़े डालने और निर्देश देने के लिए किया जाता है । किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के लिए एक keyboard सबसे मौलिक इनपुट डिवाइस है । कंप्यूटिंग के शुरुआती दिनों में, यह आमतौर पर केवल इनपुट डिवाइस था । एक keyboard में अक्षरों(letters) और संख्याओं(numbers) के साथ-साथ विशेष कार्य के लिए Key भी शामिल है, जैसे कि एंटर (Enter), डिलीट(Delete), आदि ।

कुछ और महत्त्वपूर्ण इनपुट उपकरण हैं :-
•Keyboard :- यह कंप्यूटर का इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से कंप्यूटर में डेटा Input किया जाता है। डेटा को कीबोर्ड की सहायता से ही टाइप करके लिखा जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो कीबोर्ड डेटा एंट्री करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कीबोर्ड का आविष्कार “क्रिस्टोफर लेथम शोलेज” ने किया था। Keyboard का हिंदी में मतलब कुंजीपटल होता है । इसकी सहायता से हम कम्प्युटर को निर्देश देते है । Keyboard का मुख्य उपयोग Text लिखने के लिए किया जाता है यह भी एक बहुक्रियात्मक उपकरण होता है, जो न सिर्फ लिख सकता है बल्कि कम्प्युटर को नियंत्रित करने में भी Keyboard का Use किया जा सकता है ।

• माउस (Mouse):-  Mouse एक इनपुट डिवाईस है, जिसका वास्तविक नाम Pointing Device है । Mouse का उपयोग मुख्यत: कम्प्युटर स्क्रीन पर Items को चुनने, उनकी तरफ जाने तथा उन्हे खोलने एवं बदं करने में किया जाता है. Mouse के उपयोग द्वारा युजर कम्प्युटर को निर्देश देता है । इसके द्वारा एक युजर कम्प्युटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुँच सकता है एक साधारण Mouse में आमतौर पर तीन बटन होते है, जिन्हें Right Click एवं Left Click कहते है, और तीसरे बटन को Scroll Wheel या फिरकि कहते है। आधुनिक Mouse में तो अब तीन से ज्यादा बटन आने लगे है, जिनका अलग कार्य होता है।

• लाइन पेन :-  कम्प्यूटर पर काम करते समय लाइट पेन एक रिसेप्टर की तरह काम में लाया जाता है। इसमें लगे बटन को दबाने पर कम्प्यूटर डिस्प्ले आता है और काम करता है। यह स्क्रीन पर पिक्सल्स बनाता है। इसमें लगी हुई इलैक्ट्रानिक डिवाइस स्क्रीन पर लाइट से इमेज तैयार करती हैं। इस पेन से आप बिल्कुल उसी तरह कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम कर सकते हैं, जैसे पेंसिल से कागज पर करते हैं। फर्क केवल इतना कि आपके हाथ में माउस और उंगलियां कीबोर्ड पर होती हैं। मोटे तौर पर अब ये कम्प्यूटर पर गेम्स, ग्राफिक्स, आर्ट और हेल्थकेयर सिस्टम में काम करने पर इस्तेमाल में किया जाता है। इसमें नया इजाफा यह हुआ है कि अब लाइट पेन में स्कैनर भी जुड़कर आने लगा है।

• जॉयस्टिक ( joystick):- जॉयस्टिक एक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर डिवाइस में कर्सर या पॉइंटर के आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। पॉइंटर / कर्सर आंदोलन जॉयस्टिक पर लीवर का उपयोग करके नियंत्रित होता है। इनपुट डिवाइस का उपयोग ज्यादातर गेमिंग अनुप्रयोगों और कभी-कभी ग्राफिक्स अनुप्रयोगों में किया जाता है। एक जॉयस्टिक भी आंदोलन विकलांग लोगों के लिए एक इनपुट डिवाइस के रूप में सहायक हो सकता है।

Output Device क्या है ?

Output Device क्या है ?

आउटपुट डिवाइस(Output Device), कम्प्यूटर व इसके प्रयोगकर्ता के बीच संचार का माध्यम होती है ।जैसा कि नाम से पता चलता है, ये डिवाइसिज आउटपुट को स्क्रीन या प्रिंटर पर प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग की जाती है । आउटपुट साॅफ्ट काँपी के रूप में, हार्ड कांपी के रूप में या आवाज के रूप में ही सकती है । जहाँ साॅफ्ट काॅपी स्क्रीन पर आउटपुट को दर्शाती है, हार्ड काॅपी आउटपुट पेपर पर छपाई को दर्शाती है व आवाज वाली आउटपुट स्पीकर्स द्वारा निकलने वाली आवाज को कहते है ।

आउटपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में प्रोसेस हुए आँकड़ों के नतीजों को दिखाने के लिए किया जाता है । मॉनीटर और प्रिन्टर दो मुख्यतः प्रयोग में लाये जाने वाले आउटपुट उपकरण हैं । ये आउटपुट उपकरण को मशीनी संकेतों में लेते हैं और उन्हें मानवीय भाषा में परिवर्तित करते हैं ।

कुछ मुख्य आउटपुट डिवाइसिज के नाम निम्नलिखित है :-
•माॅनीटर (Monitor) :-मॉनिटर एक अत्यावश्यक आउटपुट डिवाइस है, जिसे स्क्रीन , दृश्य-प्रदर्शन इकाई या कैथोड किरण ट्यूब भी कहा जाता है । यह किसी टी.वी. स्क्रीन की तरह ही होता है जो ग्राफिक एवं टेक्स्ट को अपने स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है । कुंजीपटल के माध्यम से टाइप की हुई प्रत्येक सूचना को प्रदर्शित करता है । साथ ही कम्प्यूटर पर सम्पन्न की गई गणनाओं तथा प्रग्रामों के परिणामो को भी दर्शाता है ।

•प्रिंटर (Printer) :-प्रिंटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है जो कि हार्ड काँपी आउटपुट प्रदान करती है । किसी भी प्रकार का डाटा जैसे कि टेक्स्ट या ग्राफिक जो मॉनिटर पर दिखाई दे देता है प्रिंटर द्वारा पेपर के ऊपर प्रिंट किया जा सकता है। प्रिंटर्स मुख्यतः दो प्रकार के होते है जो कि इम्पैक्ट प्रिंटर्स जिनका पेपर व उनके हैड के बीच में मैकेनिकली संबंध बनता है तथा दूसरे नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स जिनके द्वारा पेपर से कोई मैकेनिकली संबंध नहीं बनाया जाता ।

•प्लॉटर(Plotter) :-प्लॉटर भी एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग विभिन्न रंगों वाली स्याही से चित्रों की प्रिटिंग करने हेतु किया जाता है। प्लॉटर में ड्रमनुमा या सपाट भाग होता है, जो प्रिंटिंग में प्रयुक्त होने वाले कागज को व्यवस्थित रूप से सम्भालता है तथा एक कैरिज होता है जो प्रिंटिंग के दौरान कागज को अंदर प्रिंटिंग हेतु धकेलता है ।

•स्पीच सिंथेसाइज़र :-स्पीच सिंथेसाइज़र एक प्रत्युत्तर तन्त्र है जो स्वरों को एकत्रित कर पुनः शब्दों एवं ध्वनियो के रूप में आउटपुट प्रदान करता है इस प्रकार के तंत्रों के द्वारा सभी आवश्यक स्वरों की कोड्स के साथ पूर्व रिकार्डिंग करके एक स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस में निर्देशों के सेट के अनुसार पुनः प्रसारित क्र दिया जाता है । यह स्वर प्रत्युत्तर डिवाइस जवाबी स्वरों को उपयुक्त अनुक्रम में व्यवस्थित कर आउटपुट के रूप में प्रसारित कर देती है. ये स्पीच सिंथेसिस सिस्टम टेलीफ़ोन एक्सचेंजिस में व्यापक रूप में प्रयोग किये जाते है ।

•प्रोजेक्टर (Projector) :- प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस हैं प्रोजेक्टर का प्रयोग चित्र या वीडियो को एक प्रोजेक्शन स्क्रीन पर प्रदर्शित करके श्रोताओ को दिखाने के लिए किया जाता हैं । प्रोजेक्टर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं – 1. वीडियो प्रोजेक्टर 2. मूवी प्रोजेक्टर 3. स्लाइड प्रोजेक्टर

Qr Code क्या है ?

Qr Code क्या है ?

QR Code का पूरा नाम (QR Code Full Form in Hindi) Quick Response Code होता हैं ।

QR Code एक मशीन-पठनीय ऑप्टिकल बारकोड होता हैं. जिसमें किसी विशेष आईटम से संबंधित जानकारी जुडी हुई रहती हैं. यह जानकारी “Hypertext” के रूप में हो सकती हैं. जिसे बारकोड रीडर द्वारा पढा जाता हैं ।

यह मानक UPC बारकोड से तेज पठनीय तथा ज्यादा मेमोरी क्षमता का होता हैं. इसी कारण यह अन्य बारकोड से अधिक लोकप्रिय और दुनियाभर में इस्तेमाल होता हैं

इस बारकोड रीडर में किसी Locator (URLs), Identifier (Person) ओर Tracker (एक प्रकार का कोड) का डाटा छिपा रहता हैं. जो किसी वेबसाईट या फिर मोबाईल एपलिकेशन को खोलता हैं
logo
QR Code में जानकारी को Encode (कूट करना) करने के लिए मानक कूट तत्वों का ही उपयोग किया जाता हैं. इन मानक तत्वों में Numbers (1,2,3…), Alphanumeric (a,b,c,4,6, #, $…), Byte/Binary तथा Kanji (चीनी लेखन के वर्ण जिन्हे जापान में इस्तेमाल किया जाता हैं) शामिल होते हैं

एक साधारण QR Code की संरचना वर्गाकार बॉक्स जैसी होती हैं । जिसके अंदर सफेद बैकग्राउंड के ऊपर काले वर्गाकार बॉक्स बने रहते हैं । जिसे किसी ईमेज कैप्चरिंग डिवाईस (कैमरा, स्मार्टफोन) के द्वारा पढा जाता हैं ।

बारकोड रीडर QR Code को पढने के लिए Reed-Solomon Code का इस्तेमाल करते हैं. मतलब वह ईमेज को जब तक स्कैन करता रहेगा जब तक सही डाटा तक नहीं पहूँच जाए. इस दौरान वह ईमेल में शामिल गलतियों को सुधारता रहता हैं.

अधिकतर क्यु आर कोड ब्लैक एंड व्हाईट होते हैं. मगर यह रंगीन भी जेनेरेट किये जाते हैं. और अपनी जरूरत के अनुसार इन्हे कस्टमाईज भी किया जा सकता हैं

QR Code की संरचना और उपयोग एवं उद्देश्य के आधार पर इसे दो वर्गों में बांट सकते हैं :-
1. Static QR Code
2. Dynamic QR Code

एम एस-वर्ड (MS-Word) क्या है ?

एम एस-वर्ड (MS-Word) क्या है ?

एम एस-वर्ड एक सॉफ्टवेयर है जो वर्ड प्रोसेसिंग कार्य के लिए उपलब्ध हैं विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम (Window Operating System) में । यह एक बहुत ही प्रचलित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है जो न केवल वर्ड-प्रोसेसिंग करता है बल्कि डी. टी. पी. कार्य भी करता है ।

जब आप वर्ड में काम कर रहे होते हैं तो समय-समय पर आपको अपना दस्तावेज सेव करना पड़ता है । इसके लिए आपको ऑटो सेव विकल्प का चयन करना होता है ।

एम एस-वर्ड  की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है ?
•एम एस-वर्ड की सहायता से आप डॉक्यूमेंट बना सकते हैं, और अधिक टेक्स्ट जोड़ सकते हैं तथा टेक्स्ट में बदलाव भी कर सकते हैं ।
•आप मार्जिन को बदल कर उसका रूप बदल सकते हैं ।
•आप फॉन्ट के आकार और प्रकार को बदल सकते हैं ।
•आप डॉक्यूमेंट में पेज नम्बर, हैडर और फुटर जोड़ सकते हैं ।
•स्पेलिंग की जाँच और उनका निदान अपने आप हो जाता है ।
•टेबल बनाकर उसे टेक्स्ट में जोड़ सकते हैं ।
•यह आपको हेल्प विकल्प भी प्रदान करता है ।
•यह आपको मेल मर्ज सुविधा भी प्रदान करता है ।

एम एस-वर्ड चलाने के लिए निम्नलिखित कदम तरीका :
•टास्कबार पर स्टार्ट बटन पर क्लिक करो । स्टार्ट बटन आपके सामने प्रकट होगा ।
•प्वाइंटर को प्रोग्राम मैन्यू पर ले जाओ ।
•एम एस-वर्ड विकल्प पर बायाँ बटन क्लिक करो ।

एम एस-वर्ड के महत्वपूर्ण भाग निम्नलिखित है :
•मैन्यू बार (Menu Bar):

यह एम एस-वर्ड प्रोग्राम में उपलब्ध सभी विशेषताओं का एक समूह है । मुख्य मैन्यू फिर से अन्य सब-मैन्यू को दिखता है ।
•टाइटल बार (Title Bar) :

टाइटल बार डॉक्यूमेंट के ऊपर होता है जिसमें वर्तमान समय में सक्रिय डॉक्यूमेंट और साथ ही साथ माइक्रोसॉफ्ट वर्ड लिखा होता है । इसका प्रयोग वर्ड विंडोज के आकार और स्थान को बदलने में किया जाता है ।
•फॉरमेटिंग टूल बार (Formattig Tool Bar) :

इस बार का प्रयोग टेक्स्ट व्यवस्थित को रूप प्रदान करने के लिए किया जाता है । यहाँ आप कोई भी फॉन्ट, आकर, बोल्ड, इटेलिक आदि कर सकते हैं और पैराग्राफ की सैटिंग ठीक कर सकते है ।
• इनसरशन प्वाइंटर (Insertion Point) :

यह डॉक्यूमेंट स्क्रीन पर एक चमकती हुई लम्बवत् रेखा होती है जो की यह संकेत करती है कि जब आप टाइप करेंगे तो टेक्स्ट कहाँ प्रकट होगा ।
•रूलर बार (Ruler Bar) :

रूलर बार की मदद से आप अपने दस्तावेज को सही लेआउट (Layout) प्रदान कर सकते हैं ।

डॉस (DOS) क्या है ?

डॉस (DOS) क्या है ?

डॉस (DOS) एक ऑपरेटिंग सिस्टम है । किसी कम्प्यूटर सिस्टम के सरल कार्यों को करने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । इसका पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Disk Operating System) है । यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्त्ता और कम्प्यूटर सिस्टम के बीच माध्यम का काम करता है ।

इस ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये कम्प्यूटर को चलाने से पहले ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करना आवश्यक है । डॉस हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है । यह उन कमाण्डों को परिवर्तित करता है जो की-बोर्ड की मदद से ऐसी भाषा डाली जाती हैं जिन्हें कम्प्यूटर आसानी से समझ सके । इसे डिस्क पर स्टोर किया जाता है और यह आपकी हार्ड डिस्क से में मेमोरी में लोड किया जाता है ।

आप विशेष कमाण्डों के प्रयोग से निम्नलिखित कार्यों को कर सकते हैं :
•फाइल को बनाना या मिटाना और फाइल के नामों को बदलना ।
•आप स्टोर की गई फाइलों की सूचि देख सकते हैं ।
•आप हार्डवेयर को दो भागों में बाँट सकते हो ।
•नई फ्लॉपी डिस्क को फॉरमेट कर सकते हो ।
•आप हार्ड डिस्क से फ्लॉपी में और फ्लॉपी डिस्क से हार्ड डिस्क में बैकअप ले सकते हैं ।

वे कार्य जो डॉस स्वतः करता है :
•यह हार्डवेयर जैसे की सी. पी. यू. और मेमोरी को नियंत्रण करता है ।
•यह वायरस को ढूँढ निकालता है ।
•यह विभिन्न प्रोग्रोमों में मेमोरी का आबंटन करता है ।
•यह कम्प्यूटर से जुड़े अन्य उपकरणों को नियंत्रित करता है ।
•यह की-बोर्ड से सूचनाओं को लेता है और उन्हें मॉनीटर पर दिखाता है ।

वर्ड प्रोसेसिंग क्या है ?

वर्ड प्रोसेसिंग क्या है ?

वर्ड प्रोसेसर एक सॉफ्टवेर पैकेज है जिसकी मदद से हम एक डॉक्यूमेंट को हाथ से बनाने की अपेक्षा शीघ्र बना सकते हैं, उसमें बदलाव कर सकते हैं, उसे प्रिन्ट कर सकते हैं और सेव कर सकते हैं । एक डॉक्यूमेंट को बनाने का अर्थ है - की-बोर्ड से टाइप करना, डॉक्यूमेंट में स्पैलिंग की गलतियों को ठीक करना, शब्दों को मिटाना और डालना, वाक्यों या पैराग्राफ को जोड़ना आदि ।

वर्ड प्रोसेसिंग की निम्नलिखित विशेषताएँ है :
•टाइप किये टेक्स्ट में आसानी से बदलाव लाया जा सकता है ।
•शब्द और वाक्य सरलता से जोड़े, हटाये और बदले जा सकते हैं ।
•पैराग्राफ या टेक्स्ट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया जा सकता है ।
•मार्जिन और पेज की लम्बाई आवश्यकतानुसार व्यवस्थित की जा सकती है ।
•स्पैलिंग की जाँच और त्रुटियों का निदान स्पैल चैक सुविधा से किया जा सकता है ।
•बहुत से डॉक्यूमेंट एक किये जा सकते हैं ।
•मेल मर्ज सुविधा के प्रयोग से एक ही पत्र अलग-अलग नामों और पतों से प्रिन्ट किया जा सकता है |

डेटा संचार क्या है ?

डेटा संचार क्या है ?

डेटा संचार दो या दो से अधिक केन्द्रों के बीच डिजिटल या एनालॉग डेटा का स्थानान्तरण है, जो आपस में संचार चैनल से जुड़ा होता है ।

डेटा संचार के निम्नलिखित लाभ है :
•डेटा को भौतिक रूप से भेजने में तथा डेटा तैयार करने में लगने वाले समय की बचत ।
•आधुनिक कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग शक्ति तथा संग्रहण क्षमता का पूर्ण उपयोग ।
•फाइल से सूचनाओं की तीव्र प्राप्ति ।
•फाइलों के नकल से बचाव तथा शुद्धता
•कम खर्च में डेटा का आदान-प्रदान ।

संचार चैनल मुख्यतः तीन प्रकार के होते है :
1.सिम्पलेक्स चैनल (Simplex Channel) :

इसमें डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है । जैसे - रेडियो स्टेशन से रेडियो सिग्नल श्रोताओं के पास पहुँचता है, पर श्रोता वापस उन्हें रेडियो स्टेशन स्थानांतरित नहीं कर सकता है । सिग्नल एक ही दिशा में अर्थात 'A' से 'B' की और जाता है ।
2.अर्द्ध डुप्लेक्स चैनल (Half Duplex Channel) :

इस चैनल में डेटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है । परन्तु एक समय में किसी एक ही दिशा में डेटा का प्रवाह होता है, अर्थात 'A' से 'B' या 'B' से 'A' की और । जैसे टेलीफोन लाइन ।
3.पूर्ण डुप्लेक्स चैनल (Full Duplex Channel) :

इस चैनल में डेटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में एक साथ हो सकता है । एक ही समय में डेटा 'A' से 'B' की और तथा 'B' से 'A' की और आ-जा सकता है ।

एक कम्प्यूटर से टर्मिनल या टर्मिनल से कम्प्यूटर तक डाटा के प्रवाह के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे कम्युनिकेशन लाइन या डेटा लिंक कहते हैं ।

ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :
•को-एक्सियल केबल (Coaxial-Cable)
•प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber)
•माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)
•स्टैन्डर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone)
•उपग्रह संचार (Satellite Communication)

मेल मर्ज क्या है ?

मेल मर्ज क्या है ?

मेल मर्ज (Mail Merge)सुविधा से हम व्यक्तिगत पत्र, पत्रों के लिए लिफाफे और मेलिंग लिस्ट में लिखे प्रत्येक व्यक्ति के मेलिंग लेबल तैयार कर सकते हैं । कई बार हमें एक जैसे पत्र अनेक नामों और पतों के साथ भेजने होते है । हमारी इस समस्या का समाधान मेल-मर्ज सुविधा में है । मेल-मर्ज सुविधा के प्रयोग से आप अनेक पत्रों को भेज सकते हैं, मेलिंग लेबल बना सकते हैं तथा अलग-अलग नाम तथा पते लिख सकते हैं ।

मेल मर्ज के तीन भाग (Components) होते है :
1.मुख्य दस्तावेज (Main Document) :

मेल मर्ज में उच्च दस्तावेज ही सार्वजनिक पत्र होता है जिसमें मर्ज को चलाने के लिए निर्देश होते हैं । इसमें सामान्य टेक्स्ट के साथ फील्ड के नाम होते हैं । मुख्य दस्तावेज में सूचनाओं ठीक वैसी ही रहती हैं । वर्ड मर्ज दस्तावेजों में उन विशेष स्थानों, नामों और पतों का प्रवेशन करता है । मर्ज दस्तावेज में शब्दों को डालने से पहले आपको मुख्य दस्तावेज में फील्ड के नामों का प्रवेशन करना चाहिए ।
2.फील्ड नेम (Field Name) :

फील्ड नेम इस बात की और संकेत करता है कि बदली जाने वाली सूचनाओं का प्रवेशन कहाँ होना है । डाटा सोर्स में, फील्ड के नाम प्रत्येक कॉलम में सूचना के वर्गों की और संकेत करते हैं । इनका मिलान डाटा फाइन में फील्ड नामों के साथ होना चाहिए ।
3.डाटा स्त्रोत (Data Source) :

डाटा फाइन में वे सूचनाएँ होती हैं जिन्हें मुख्य दस्तावेज में लाना होता है । डाटा सोर्स को डाटा फाइल भी कहते हैं । आप इसमें केवल वाक्यों को ही स्टोर नहीं कर सकते बल्कि कोई भी टेक्स्ट या डाटा, जिसे आप बार-बार प्रयोग करना चाहते हैं, स्टोर कर सकते हैं ।

HTML क्या है ?

HTML क्या है ?

HTML (Hyper Text Markup Language) एक भाषा है जिसके जरिये हम Web-Browser को समझाते हैं कि हमारे Webpage के Information ( text, images आदि) को User के Screen पर कैसे Display किया जाये। हमारे पेज का Layout कैसा होगा ये भी हम HTML के Code से ही Browser को बताते हैं।

बिना HTML Code के कोई भी वेबपेज Design नही किया जा सकता इस समय जिस पेज को आप अपनी Screen पर देख रहें है इसे भी बनाने के लिये HTML Language का Use किया गया है।

HTML File का Extension .html होता है।
logo
HTML में Code लिखने और Run करने के लिये Mainly दो प्रकार के टूल्स की जरूरत पडती है: -
1.Text Editor (जैसे Notepad, Notepad++, Dreamweaver, Coffee Cup आदि)

2.Web Browser (जैसे Internet Explorer, Google Chrome, Firefox, Safari, Opera आदि)

एक HTML पेज के Mainly दो भाग होते हैं: -
•Head Section:  इस सेक्शन में पेज के बारे में Informations लिखे जाते हैं जो web browser और Search Engine के काम का होता है। इस Section मे Mainly तीन Type की जानकारियां होती हैं: Keywords, Description जो कि Google जैसे Search Engines के काम आता है और तीसरा Title जो कि वेबपेज का टाइटल होता है और Browser के Title Bar में display होता है।

•Body Section :- यह main content वाला part होता है यहां वो सारी जानकारियां लिखीं जातीं हैं जिसे हम अपने पेज में दिखाना चाहते हैं जैसे: Text, Image, Video आदि।

GPS क्या है ?

GPS क्या है ?

GPS यानी Global Positioning System एक ऐसी technology है जिसका इस्तेमाल हम कही से भी किसी भी चीज़ की लोकेशन का पता लगाने के लिए करते हैं यह global satellite navigation system तकनीक पर काम करता है।

GPS को आपने भी अपने फ़ोन में use किया होगा अगर आपने कभी google maps या किसी दूसरी map app को काम में लिया है तो। GPS technology को सबसे पहले US Department of defense ने 1973 में US millitary के लिए बनाया था।

इसके लगभग 22 साल बाद यानी 1995 में सार्वजानिक उपयोग के लिए शुरू किया गया। इसका इस्तेमाल आजकल मोबाइल फ़ोन, स्मार्टवाच, बैग, डिफेंस डिपार्टमेंट, व्हीकल, aircrafts, जियोफेंसिंग, जियोटेगिंग आदि में हो रहा है।
logo
GPS satelite navigation की मदद से काम करता है अगर हम आपने मोबाइल का ही उदहारण लें तो यहाँ पर हमारा मोबाइल एक reciever का काम करता है जो चार अलग अलग नजदीकी satelite के साथ connect होता है उसके बाद इनके द्वारा भेजी गयी जानकारी को लेकर डिकोड करके आपको जानकारी बताता है।

इसी तरह अगर आपको अपनी कार के बारे में पता करना है जिसमे GPS tracker लगा हुआ है और आपके पास कोई भी GPS reciever है जैसे आपका फ़ोन तो आप आसानी से उसे ट्रैक कर सकते हो यहाँ पर satelites आपके GPS tracker से जानकारी recieve करते है और आपके GPS reciever को भेज देते है।

कम्प्यूटर वायरस क्या है ?

वायरस एक प्रोग्राम है जो हमारे कम्प्यूटर सिस्टम में बिना हमारी इच्छा तथा जानकारी के लोड हो जाता है । एक वायरस बार-बार खुद की प्रतिलिपि तैयार कर सकता है और उपलब्ध सारे मेमोरी का उपयोग कर सिस्टम की गति को धीरे या पूर्णतः रोक सकता है । कुछ वायरस कम्प्यूटर के बूटिंग से स्वंय को जोड़ लेता है तथा जितनी बार कम्प्यूटर बूट करता है वह उतना ही फैलता जाता है या कम्प्यूटर को रिबूट करता करता रहता है । वह कम्प्यूटर के डेटा या प्रोग्राम को क्षति पहुँचाता है । हमारे कम्प्यूटर में वायरस के आने का सामान्य तरीका इंटरनेट तथा अवांछित ई-मेल है ।
logo
कम्प्यूटर वायरस भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं :
•बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus)
•परजीवी वायरस (Parasitic Virus)
•मल्टीपार्टाइट वायरस (Multipartite Virus)
•लिंक वायरस (Link Virus)
•मैक्रो वायरस (Macro Virus)

वायरस को नष्ट करने के लिए बनाये गये प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को एन्टीवायरस कहते हैं । इसमें आटो प्रोटेक्ट तथा रियाल टाइम प्रोटेक्सन की सुविधा रहती है जो इंटरनेट से किसी फाइल का उपयोग करने के पहले उसे जाँच लेता है कि यह वायरस मुक्त है या नहीं । अगर फिर भी वायरस सिस्टम में सक्रिय हो जाता है, तो हमें सूचित कर देता है । जिसे हम एन्टीवायरस के सिस्टम स्कैन चलाकर हटा सकते हैं । कुछ समय के अंतराल पर पूर्ण सिस्टम स्कैन चलाकर हम कम्प्यूटर को वायरस मुक्त रखने में सक्षम हो सकते हैं । सर्वप्रथम दिखनेवाला पर्सनल कम्प्यूटर वायरस सी-ब्रेन है ।

कुछ कम्प्यूटर वाइरस निम्नलिखित है :
•सी-ब्रेन (C-Brain)
•मंकी (Monkey)
•वान हॉफ (Vanhalf)
•माइकल एंगेलो (Michelangelo)
•क्रिपर (Creeper)
•हैप्पी वर्थडे जोशी (Happy Birthday Joshi)

Thursday, May 6, 2021

डोमेन नाम क्या है ?

डोमेन किसी भी वेबसाइट का नाम होता है जैसे  https://pratyushsonu.blogspot.com/   यह हमारी वेबसाइट का नाम है।

वास्तव में Domain Name एक Web Address है. जिसकी सहायता से हम Particular Website पर जा सकते है. जब Internet की शुरुवात हुई थी. तब Internet पर बहोत कम Website थी. तब Domains name नहीं था. उस वक्त किसी भी Website पर जाने के लिये, Ip Address का Use होता था. वो ऐसे form में थे. > 1.01.21.52.25.002 जो की याद रखने में काफी मुश्किल हुआ करता था. भविष्य में आने वाले वाली परेशानी, और संभावना को ध्यान में रखते हुए. डोमेन की शुरूवात की गयी. जो याद रखने में काफी easy है. जैसे की हमारे वेबसाइट का डोमेन       https://pratyushsonu.blogspot.com/  है
logo
डोमेन नाम (Domain Name)एक विशेष नाम है जो इंटरनेट साइट की पहचान बताता है । किसी इंटरनेट वेबसाइट (Website) का यूआरएल (URL) के अंत में डॉट (.) के बाद के नाम को डोमेन कहते हैं । जैसे - https://pratyushsonu.blogspot.com/   में .com डोमेन नेम है । यह किसी संस्था या देश को इंगित करता है । Domain Name या DNS (Domain Naming System) एक ऐसा नामकरण है जिससे हम किसी website को Internet में identify कर सकते हैं।

कुछ महत्वपूर्ण डोमेन नेम निम्नलिखित है :
•.acro - एवीएशन
•.gov - सरकारी संस्था
•.in - भारत
•.net - नेटवर्क
•.name - पर्सनल
•.jobs - नोकरी
•.biz - बिजनेस आर्गेनाईजेशन
•.edu - शैक्षिक संस्था
•.org - आर्गेनाईजेशन
•.mil - सैनिक
•.asia - एशिया
•.com - कॉमर्शियल

कम्प्यूटर की भाषायें क्या है ?

कम्प्यूटर की भाषायें क्या है ?

मनुष्य को एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है । भाषा संचार का एक साधन है । ठीक उसी तरह, कम्प्यूटर से बातचीत करने के लिए हमें कम्प्यूटर की भाषाओं की जानकारी होनी चाहिए । कम्प्यूटर भाषायें अनेक प्रकार की होती है जिनके अपने ही संकेत, कैरेक्ट और प्रयोग करने के नियम होते हैं जो की इंसान को कम्प्यूटर से बातचीत करने में सहायता करते हैं ।
logo
तार्किक रूप से सम्बन्धित निर्देशों का समूह जिसे क्रमानुसार व्यवस्थित किया होता है ताकि वह कम्प्यूटर को समस्या सुलझाने में मार्गदर्शन करे, प्रोग्राम कहलाता है । वे भाषायें जिनमें प्रोग्राम लिखे जाते हैं, प्रोग्रामिंग कहलाती हैं । सही नतीजे पाने के लिए इसे सही ढंग से प्रोग्राम किया जाना आवश्यक है ।

इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है :
1. मशीनी भाषा (Machine Language) :-  मशीनी भाषा ( Machine language ) वह भाषा होती है जिसमें केवल 0 और 1 दो अंको का प्रयोग होता है यह कंप्‍यूटर की आधारभूूत भाषा होती है जिसे कंप्‍यूटर सीधे सीधे समझ लेता है, मशीनी भाषा बायनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं 0 और 1 चूंकि कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 को ही समझता है और कंप्‍यूटर का सर्किट यानी परिपथ इन बायनरी कोड को पहचान लेता है और इसे विधुत संकेतो ( Electrical signals ) मे परिवर्तित कर लेता है इसमें 0 का मतलब low या Off है और 1 का मतलब High या On ।

2. असेम्बली भाषा (Assembly Language) :-  असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक ऐसी कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे अंकीय संकेतो के स्थान पर अक्षर अथवा चिन्हो का प्रयोग किया जाता है, इस कारण असेम्बली भाषा symbol language भी कहलाती है । असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language) है, असेंबली लैंग्वेज प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की सेंकेंड जेनरेशन है ।

3. उच्च-स्तरीय भाषा (High Level Language) :- उच्च स्तरीय भाषा (High level language) कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है जिसमे अंग्रेजी अक्षरो, संख्याओ एवं चिन्हो का प्रयोग करके प्रोग्राम लिखा जाता है उच्च स्तरीय भाषा (High level language) किसी भी प्रकार के प्रोससर पर कार्य कर सकती है इसे आसानी से समझा जा सकता है यह सामान्य अंग्रेजी जैसी लगती है। इसे कम्पाइलर द्वारा अनुवाद करके मशीनी भाषा में बदला जाता है । इसके उदाहरण है, C++,JAVA,HTML,PASCAL, Ruby आदि

IP एड्रेस क्या है ?

IP एड्रेस क्या है ?

आई पी एड्रेस (IP Adress) चार संख्याओं का एक समूह है जो डॉट (.) से अलग किया जाता है । जिसका एक भाग नेटवर्क का पता (Network Adress) तथा दूसरा भाग नोड पता (Node Adress) है । नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक नोड का आई पी एड्रेस खास तथा अलग-अलग होता है ।
logo
उदाहरण - IP एड्रेस 202.54.15.178 में 202.54 नेटवर्क एड्रेस है तथा 15.178 नोड एड्रेस है ।

URL (Uniform Resource Locator) क्या है ?

URL (Uniform Resource Locator) क्या है ?

URL की फुल फॉर्म Uniform Resources Locator है। यूआरएल को सन् 1994 में Tim Berness-Lee ने define किया था और यूआरएल case-sensitive होते हैं अथार्त इसमें हमें lower case तथा upper case का ध्यान रखना पड़ता है। यह इंटरनेट पर किसी भी संसाधन का पता देने के लिए स्टैंडर्ड तरीका है।

URL  यह किसी विशिष्ट फाइल, डायरेक्टरी या वेबसाईट के पेज का एक एड्रेस होता है। जैसे – https://pratyushsonu.blogspot.com/  इसे URL भी कहा जाता है। आमतौर पर वेबसाईट का एड्रेस वेब साइट के होम पेज को रिप्रेजेंट करता है। किसी भी वेबसाईट का एड्रेस प्रोटोकॉल, डोमेन नेम के साथ आरंभ होता है और डोमेन कोड के साथ समाप्त होता है। क्योंकि हम यूआरएल वर्ड का use अधिकतर intrnet use करते समय करते है तो सिर्फ world wide web पर ही यूआरएल होता है यह कहना सही नहीं होगा क्योंकि URLs किसी local network resource पर भी पॉइंट कर सकता है जैसे- database, lcally होस्ट website आदि।
logo
यह इंटरनेट में किसी वेबसाईट या वेब पेज को access करने के लिए यूआरएल का प्रयोग वेब ब्राउजर के द्वारा किया जाता है।

सामान्यतः URL तीन भागो से मिलकर बना होता है जो कुछ इस प्रकार है -
• सबसे पहला एक Protocol Identifier होता है जो यह बताता है की कोनसा प्रोटोकॉल इस्तेमाल हो रहा है।
•दूसरा भाग एक Domain name होता है जो यह बताता है की कोनसे सर्वर से डाटा यानी resource लाना है।
•तीसरा भाग डॉक्यूमेंट का path और नाम बताता है।

जैसे - http://www.yahoo.com में http हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है । जिसका उपयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर yahoo.com नामक वेबसाइट पर जा सकते हैं ।

वर्ल्ड वाइड वेब (www) क्या है ?

वर्ल्ड वाइड वेब (www)क्या है ?

वर्ल्ड वाईड वेब मे सूचनाओ को वेबसाईट के रूप मे रखा जाता है। ये वेबसाइटे वेब सर्वर पर हाईपरटेक्स्ट फाइलो को संग्रहित होती है। वर्ल्ड वाईड वेब की एक नाम प्रणाली हैै, जिसके द्वारा प्रत्येक वेबसाइट को एक विशेष नाम दिया जाता है। उसी नाम से उसे वेब पर पहचाना जाता है। किसी वेबसाइट के नाम को उसका URL (Uniform Resource Locator) भी कहा जाता है।

वर्ल्ड वाइड वेब और इंटरनेट दोनों दो चीजे हैं परन्तु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं । वर्ल्ड वाइड वेब जानकारी युक्त पेजों का विशाल संग्रह है जो एक दूसरे से जुड़ा है । जिसे वेब पेज कहते हैं । वेब पेज HTML भाषा में लिखा होता है जो कंप्यूटर में प्रयुक्त एक भाषा है । वेब पेज को जो रोचक बनाता है वह है हाइपरलिंक, जिसे अक्सर लिंक कहा जाता है ।
logo
हर लिंक किसी दूसरे पेज को इंगित करता है और जब हम इस पर क्लिक करते हैं तो हमारा ब्राउज़र लिंक से जुड़े पेज को उपलब्ध कराता है । अतः वर्ल्ड वाइड वेब एक विशाल सूचनाओं का डेटाबेस है तथा हर सूचना एक दूसरी सुचना से जुड़ा है ।

र्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार सन 1989 में एक ब्रिटिश कंप्यूटर साइंटिस्ट Tim Berners Lee ने किया था ।

सर्वर एक प्रकार का कंप्यूटर होता है जिसमे वेबसाइट के सारे contents जैसे web pages, images, videos आदि को store किया जाता है। सर्वर world wide web से जुड़ा होता है ताकि इन contents को दुनिया के किसी भी कोने से इंटरनेट के जरिये access किया जा सके।

Wednesday, May 5, 2021

वेब ब्राऊजर क्या है ?

वेब ब्राऊजर क्या है ?

वेब एक विशाल पुस्तक की तरह है तथा वेब ब्राऊजर एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ता है । यह बहुत ही महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । ब्राऊजर वर्ड वाइड वेब पर साइट देखने का एक सामान्य साधन है । इन सॉफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं, तथा वेब से अपने पसंद की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं । यह अनेक कार्यों को जैसे की ई-मेल, खबरें, इंटरनेट से बात करना, वार्तालाप, मल्टीमीडिया आदि को नियंत्रित करता है ।
logo
ब्राऊजर भी एक वेब ग्राहक माना जाता है क्योंकि क्लाइन्ट मॉडल में यह क्लाइन्ट प्रोग्राम की तरह कार्य करता है । ब्राउजर वेब सर्वर से सम्पर्क बनाता है और सूचनाओं के लिए निवेदन करता है ।

वेब ब्राऊजर का उपयोग कर हमलोग किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता टाइप कर जा सकते हैं, इस पता को यूआरएल कहते हैं ।

कुछ प्रमुख वेब ब्राऊजर निम्नलिखित है :-
•नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator)
•माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सपलोरर (Microsoft Internet Explorer)
•मौजिला फायरफॉक्स (Mosilla Firefox)
•NCSA मॉजैक (NCSA Mosaic)
•ओपेरा (Opera)
•सफारी (Safari)
•क्रोम (Chrome)

नेटवर्क क्या है ?

नेटवर्क क्या है ?

नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं । किसी भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम तथा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर के साधनों में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कम्प्यूटर नेटवर्किंग कहलाता है । कम्प्यूटर नेटवर्किंग की मदद से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर रहकर उनके साथ भागीदारी कर सकते हैं ।
logo
नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है :
•रिपीटर्स (Repeaters)
• हब (Hub)
•स्विच (Switches)
•राउटर्स (Routers)
•गेटवे (Gateways)

नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार हैं :
1.लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network-LAN) :-

यह एक कम्प्यूटर नेटवर्क है, जिसके अन्दर छोटे भौगोलिक क्षेत्र जैसे - घर, ऑफिस, भवनों का एक छोटा समूह या हवाई अड्डा आदि में कम्प्यूटर नेटवर्क है । वर्तमान लैन ईथरनेट तकनीकी पर आधारित है । इस नेटवर्क का आकर छोटा, लेकिन डेटा संचारण की गति तीव्र होती है ।
2.वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network-WAN) :-

इस नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में लीज्ड लाइन या स्विचड सर्किट के द्वारा जुड़े रहते हैं । यह नेटवर्क व्यापक भौगोलिक क्षेत्र देश, महादेश में फैला नेटवर्क का जाल है । इन्टरनेट इसका अच्छा उदाहरण है । भारत में CMC द्वारा विकसित इंडोनेट वैन का उदाहरण है । बैंकों द्वारा प्रदत्त ATM सुविधा वाइड एरिया नेटवर्क का उदाहरण है ।
3.मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network-MAN) :-

MAN दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क को जोड़ता है । यह शहर की सीमाओं के भीतर स्थित कंप्यूटरों का नेटवर्क है । राउटर्स, स्विच और हब्स मिलकर एक MAN का निर्माण करते हैं ।

इन्टरनेट क्या है ?

इन्टरनेट क्या है ?

Internet एक महाजाल है। Internet दुनिया का सबसे बड़ा और व्यस्तम नेटवर्क है. Internet को हिंदी में ‘अंतरजाल‘ कहते है। अगर सीधे शब्दों में कहे तो दुनिया के कम्प्युटरों का आपस में जुड़ना ही Internet है । जब यह नेटवर्क (Internet) स्थापित हो जाता है तो हम एक विशाल जाल का हिस्सा हो जाते है जिसेे Global Network कहते हैं । और इस नेटवर्क से जुडें किसी भी कम्प्युटर में उपलब्ध कोई भी सूचना अपने कम्प्युटर में प्राप्त कर सकते है ।

इंटरनेट से जुडे जुए प्रत्येक कम्प्युटर की एक अलग पहचान होती हैं । इस विशेष पहचान (Unique Identity) को IP Address कहा जाता हैं । IP Address गणितिय संख्याओं का एक Unique Set होता हैं (जैसे 103.195.185.222) जो उस कम्प्युटर की लोकेशन को बताता हैं ।

IP Address को Domain Name Server यानि DNS द्वारा एक नाम दिया जाता हैं जो उस IP Address को Represent करता हैं । जैसे https://pratyushsonu.blogspot.com/    एक Domain Name हैं जो किसी कम्प्युटर लोकेशन का नाम हैं । जिसे डोमेन नेम सर्वर किसी IP Address यानि कम्प्युटर से जोड देते हैं ।
logo
इस तरह से, इन्टरनेट का मतलब उच्चस्तरीय कम्प्यूटर का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ाव है । ये जुड़ाव नेटवर्क केबलों, टेलीफोन केबलों, माइक्रोवेव डिश, सैटेलाइट और अन्य प्रकार के आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा सम्भव किया जाता है । इन्टरनेट विश्व के विभिन्न नेटवर्कों से सम्बन्ध रखने वालों हजारों कम्प्यूटर का एक जुड़ाव है । इससे नेटवर्किंग के माध्यम से विश्व में किसी भी जगह से विभिन्न प्रकार की सूचनाओं में भागीदारी की जा सकती है ।

Internet के कुछ प्रमुख क्षेत्र जहाँ Internet का उपयोग किया जाता है :-
•खोजने के लिए( To Search Information) :- Internet को विकसित ही इसलिए किया गया था । आज से पहले कभी भी इस प्रकार सूचनाए प्राप्त करना आसान नही था। लेकिन आज हम Internet के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने से जानकारीयाँ प्राप्त कर सकते है और वो भी कुछ सैकण्डों में। हम दुनिया के हर कोने की खबर घर बैठे अपने कम्प्युटर पर ले सकते है। Internet में सूचनाए खोजने के लिए Search Engines का उपयोग किया जाता है।

•मनोरंजन के लिए (To Entertainment) :- Internet का उपयोग मनोरंजन के साधन के रूप में किया जाता है। मनोरंजन के क्षेत्र मे विकल्प असीमित है। इसके माध्यम से हम फिल्में, गाने, विडियों आदि को देख तथा सुन सकते है। पढने के शौकिन अपने मनपसंद लेखक को पढ‌ सकते है। इसके अलावा हर वक्त का मनोरंजन विडियो गेम कि दुनिया तो हमारे लिए हर वक्त खुली होती है ।

• खरीदी के लिए( To Shopping) :- इसे ई-व्यापार (E-commerce) कहते है। Internet के माध्यम से बाजार को घर से ही देखा जा सकता है और अपना सामान खरीदा जा सकता है। हम Internet के द्वारा घर बैठे ही किस दुकान पर कौनसा सामान है और कौनसा नही तथा उस सामान के ढेरो विकल्प एक साथ देखकर पसंद से अपना सामान खरीद सकते है। इसके अलावा प्रचलित फैशन को जान सकते है।

•शिक्षा के क्षेत्र में (In Education) :-  इसे E-learning (ई-शिक्षा) कहते है. यह क्षेत्र तेजी से बढ रहा है। आज Internet के माध्यम से हम घर बैठे ही अपने लिए मनपसंद कॉलेज, स्कूल चुन सकते है। इसके अलावा हमारे पसंद के कोर्स किस कॉलेज में उपलब्ध है और उस कोर्स के बारे में सारी जानकारी यथा कोर्स की फीस, कोर्स का समयावधि आदि, यह जानकारी हम अपने कम्प्युटर पर प्राप्त कर कर सकते है। आज ई-लर्निंग का क्षेत्र काफि विकसित हो चुका है। हम घर बैठे ही दुनिया के बेहतरीन अध्यापको से पढ सकते है।

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर और उपभोक्ता के बीच माध्यम का काम करता है । ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक लक्ष्य कम्प्यूटर सिस्टम को प्रयोग के लिए सुविधाजनक बनाना है और इसका द्वितीय लक्ष्य कम्प्यूटर हार्डवेयर को सुचारू रूप से चलाना है ।

ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का एक सेट है जो कम्प्यूटर के संसाधनों को प्रबंधित करने के लिए डिजाइन किया गया है और जिसमें कम्प्यूटर को शुरू करना, प्रोग्रामों को मैनेज करना, मेमोरी को मैनेज करना और इनपुट तथा आउटपुट डिवाइसों के बीच के कार्यों का समन्वय करना शामिल है ।
logo
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार :
•एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम (Single User Operating System) :

एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो केवल एक उपभोक्ता को एक ही समय में कार्य करने की अनुमति देता है । एम. एस. डॉस सबसे अधिक प्रचलित एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम है ।
•मल्टी-यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi-User Operating System) :

बड़ा कम्प्यूटर अधिक कार्यकुशलता से उपयोग किया जा सकता है, यदि एक ही समय पर बहुत से उपभोक्ता इस पर काम करें । ऐसा लोकल एरिया नेटवर्क के तहत टाइम शेयरिंग मोड़ (Time Sharing Mode) में ही सम्भव है । इन बहु-उपभोक्तओं के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक उपभोक्ता को एक निश्चित समय बाँटता है और इस बात पर भी कड़ी मेहनत करता है कि आउटपुट उपकरणों को जाने वाले नतीजे आपस में मिल न जाए । युनिक्स (Unix), विंडोज 98 आदि कुछ बहु-उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम हैं ।

पर्सनल कम्प्यूटर क्या है ?

पर्सनल कम्प्यूटर क्या है ?

पर्सनल कम्प्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए छोटा, अपेक्षाकृत कम खर्चीला डिजाइन किया गया कम्प्यूटर है । यह माइक्रोप्रोसेसर प्रौद्योगिकी पर आधारित है । व्यापर में इसका उपयोग शब्द संसाधन, लेखांकन, डेस्कटॉप प्रकाशन, स्प्रेडशीट तथा डेटाबेस प्रबंधन आदि के लिए होता है । घर में पर्सनल कम्प्यूटर का उपयोग मनोरंजन के लिए, ई-मेल देखने तथा छोटे-छोटे दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है ।
logo
पर्सनल कम्प्यूटर के निम्नलिखित मुख्य भाग है :
•सी पी यू (CPU)
•हार्ड डिस्क (Hard Disk)
•सीडी ड्राइव (CD-Drive)
•फ्लॉपी ड्राइव(Floppy Drive)
•मॉनिटर (Monitor)
•माउस (Mouse)
•की-बोर्ड (Key Board)
•यू पि एस (UPS)
•स्पीकर (Speaker)

एप्लिकेशन सॅाफ्टवेयर क्या है ?

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर क्या है ?

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिसे विशेष उपयोगिताओं के लिए बनाया गया है । एप्लिकेशन प्रोग्राम सामान्य उद्देश्यों के लिए बनाये जाते हैं जैसे की उपज का लेखा-जोखा, सामान्य बिल बुक और खाता-बही बनाना आदि । ये पैकेज बैंकों, अस्पतालों, बीमा कम्पनियों, पब्लिकेशनों आदि के लिए बनाये जाते हैं ।एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को या तो स्थापित करने की आवश्यकता है या ऑनलाइन चलाया जा सकता है।

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो हमारे कंप्यूटर पर आधारित मुख्य कामों को करने के लिए लिखे जाते हैं । आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर होते हैं Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।
logo
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को भी दो भागों में बाँटा जा सकता है :
1.विशेष उद्देश्यीय एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Customized Application Software) :

ये वे प्रोग्राम है जो कि उपभोक्ता की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष तौर पर बनाये जाते हैं । इन सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये उपभोक्ता की सारी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं । इस प्रकार के सॉफ्टवेयरों की मुख्य हानि यह है कि ये सामान्य उद्देशीय सॉफ्टवेयरों की तुलना महँगा होता है ।
2.सामान्य उद्दश्यीय एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (General Purpose Application Software) :

ये वे प्रोग्राम हैं जो कि लोगों के सामान्य आवश्यक कार्यों को करने के लिए बनाये जाते हैं । प्रत्येक प्रोग्राम इस ढंग से लिखा जाता है कि वह बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं पर लागू हो । इस सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सस्ता होता है । लेकिन इसकी एक बड़ी हानि यह है कि ये उपभोक्ताओं की सभी जरूरतों को पूरा नहीं करता ।

 एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) के कुछ उदाहरण हैं :-
◦फ़ोटोशॉप
◦पेजमेकर
◦पावर पाइंट
◦एम एस वर्ड
◦एस एस एक्‍सेल

CPU क्या है ?

CPU क्या है ?

CPU का पूरा नाम Central Processing Unit है । इसे प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर भी कहता हैं । यह पीसी से जुड़े विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित करता है । यह कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है । यह एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप है जो डेटा को इनफॉर्मेशन में बदलते हुए प्रोसेस करता है । इसे कम्प्यूटर का ब्रेन कहा जाता है । यह कम्प्यूटर सिस्टम के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा यह इनपुट को आउटपुट में रूपान्तरित करता है । यह इनपुट तथा आउटपुट यूनिट से मिलकर पूरा कम्प्यूटर सिस्टम बनाता है ।
logo
इसके निम्नलिखित भाग है :-
•अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) :-

इसका उपयोग अंकगणितीय तथा तार्किक गणना में होता है । अंकगणितीय गणना के अन्तगर्त तुलनात्मक गणना के अन्तगर्त जोड़, घटाव, गुणा और भाग इत्यादि तथा तार्किक गणना के अन्तगर्त तुलनात्मक गणना जैसे (<, > या =), हाँ या ना इत्यादि आते हैं ।
•कंट्रोल यूनिट (Control Unit) :-

यह कम्प्यूटर के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के सारे भागों जैसे इनपुट, आउटपुट डिवाइसेज, प्रोसेसर इत्यादि के सारे गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाता है ।
•मेमोरी यूनिट (Memory Unit) :-

यह डेटा तथा निर्देशों के संग्रह करने में प्रयुक्त होता है । इसे मुख्यतः दो वर्गों प्राइमरी तथा सेकेंडरी मेमोरी में विभाजित करते हैं । जब कम्प्यूटर कार्यशील रहता है, अर्थात वर्तमान में उपयोग हो रहे डेटा तथा निर्देशों का संग्रह प्राइमरी मेमोरी में होता है । सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग बाद में उपयोग होने वाले डेटा तथा निर्देशों को संग्रहित करने में होता है ।

UPS क्या है ?

UPS क्या है ?

UPS का पूरा नाम Uninterruptible Power Supply है । यह बैटरी से संचालित उपकरण है जिसके द्वारा कम्प्यूटर में अनवरत विद्युत आपूर्ति बनी रहती है । यह कंप्यूटर को तब पॉवर देता है जब अचानक मुख्य सप्लाई से पॉवर कट जाती है ।
logo
यूपीएस के अन्दर एक बैटरी लगी होती है जो की 20-40 मिनट तक पॉवर दे सकती है । इससे हमें यह लाभ होता है कि जब मुख्य सप्लाई से पॉवर आनी बन्द हो जाती है उस समय हम कंप्यूटर को ढंग से बन्द कर सकते हैं ।

सॅाफ्टवेयर क्या है ?

सॉफ्टवेयर क्या है ?

सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग भाषा द्वारा लिखे गये निर्देशों की श्रृंखला है, जिसके अनुसार दिए गये डेटा का प्रोसेस होता है । बिना सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है । इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है । सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर भी कार्य करता है । इसे प्रोग्राम भी कहते हैं । हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संचार स्थापित करने को इंटरफेस कहते हैं ।

सभी सॉफ्टवेयर लाइसेंस के माध्यम से संरक्षित तथा प्रतिवेधित रहते हैं । सॉफ्टवेयर लाइसेंस सॉफ्टवेयर के निर्माता तथा उपयोगकर्त्ता के बीच कानूनी एग्रीमेंट है, जिसके अन्तगर्त एक से अधिक कम्प्यूटर पर सॉफ्टवेयर को ईस्टॉल करना, कोड में किसी तरह का रूपान्तरण और सॉफ्टवेयर में किसी तरह का बदलाव करना निषेद्य है । यह सॉफ्टवेयर के उपयोग को प्रतिबंधित करता है ।
logo
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विभिन्न तरह के होते हैं । सामान्यतः इसे तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है :
1.सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

यह कम्प्यूटर हार्डवेयर को नियंत्रित करता है कि अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर अच्छी तरह से चल सके । जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर, विंडोज सिस्टम आदि ।
2.अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software)

यह यूजर को एक या एक से अधिक कोई विशेष कार्य पूरा करने की अनुमति देता है । उच्च स्तरीय की कम्प्यूटर भाषाओं का उपयोग कर अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं । सॉफ्टवेयर प्रोग्राम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हुए लिखा जाता है, अतः यूजर आसानी से कम्प्यूटर का उपयोग कर सकता है । जैसे - वर्ड प्रोसेसर, औद्योगिक स्वचालन, व्यापार सॉफ्टवेयर और चिकित्सा सॉफ्टवेयर आदि ।
3.प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming Software)

यह आमतौर पर कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने में एक प्रोग्रामर की सहायता करने के लिए उपकरण प्रदान करता है, जैसे - पाठ संपादक, कम्पाइलर, डि-बगर, इन्टरप्रेटर आदि ।

कम्प्यूटर क्या है ?

कम्प्यूटर क्या है ?

कम्प्यूटर गणितीय और अगणितीय क्रियाओं को करने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है । यह आँकड़ों को इनपुट के तौर पर लेता है उन्हें प्रोसेस करता है और आउटपुट के तौर पर अर्थपूर्ण नतीजे प्रदान करता है । हम अपरिपक्व तथ्यों को आँकड़े के रूप में इकट्ठे करते हैं और ये आँकड़े कम्प्यूटर में डाले जाते हैं । कम्प्यूटर इन आँकड़ों को प्रोसेस करके हमें सूचनायें प्रदान करता है ।

अक्सर लोग सोचते हैं कि कम्प्यूटर एक सर्वशक्तिमान सुपरमैन की तरह है परन्तु ऐसा है नहीं । यह केवल एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो तीव्र गति से कार्य करता है और गलती नहीं करता है । इसकी क्षमता सीमित है । यह अंग्रेजी शब्द कम्प्यूट से बना है जिसका अर्थ गणना करना है । हिन्दी में इसे संगणक कहते हैं । इसका उपयोग बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस करने तथा इकट्टा करने के लिए होता है ।

Computer अपना कार्य अकेला नही कर सकता है. Computer किसी कार्य को करने के लिए कई तरह के उपकरणों तथा प्रोग्राम की सहायता लेता है । Computer के ये उपकरण और प्रोग्राम क्रमश: ‘Hardware तथा Software ‘ के नाम से जाने जाते है ।
logo
कम्प्यूटर एक यंत्र है व इसे सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम के अनुसार किसी परिणाम के लिए प्रोसेस करता है । कम्प्यूटर को कृत्रिम बुद्धि की संज्ञा दी गई है । इसकी स्मरण शक्ति मनुष्य की तुलना में उच्च होती है ।

कम्प्यूटर की विशेषताएँ :
•यह तीव्र गति से कार्य करता है अर्थात समय की बचत होती है ।
•यह त्रुटिरहित कार्य करता है ।
•यह स्थायी तथा विशाल भंडारण क्षमता की सुविधा देता है ।
•यह पूर्व निर्धारित निर्देशों के अनुसार तीव्र निर्णय लेने में सक्षम है ।

कम्प्यूटर के उपयोग :
•शिक्षा के क्षेत्र में
•वैज्ञानिक अनुसंधान में
•रेलवे तथा वायुयान आरक्षण में
•बैंक में
•रक्षा में
•व्यापार में
•संचार में
•मनोरंजन में

कम्प्यूटर के कार्य
1.डेटा संकलन (Data Collection)
2.डेटा संचयन (Data Storage)
3.डेटा संसाधन (Data Processing)
4.डेटा निर्गमन (Data Output)

HINDI